आगरा: ताजगंज क्षेत्र के श्मशान घाट पर चिता जलाने का काम करने वाले 27 वर्षीय शमसुद्दीन की रविवार देर रात एसएन मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है, जबकि घटना की जांच शुरू कर दी गई है। प्रारंभिक जांच में चेहरे पर गंभीर चोटें और आंखों के क्षतिग्रस्त होने के निशान मिले हैं, जिसके कारण पुलिस किसी जानवर के हमले की आशंका जता रही है।
घटना की पूरी जानकारी
मृतक शमसुद्दीन ताजगंज के जलाल बुखारी की दरगाह के पास रहता था। वह पिछले तीन वर्षों से ताजगंज श्मशान घाट पर ही मुर्दे जलाने का काम करता था। मृतक के भाई बसरुद्दीन ने बताया कि रविवार सुबह शमसुद्दीन के साथ काम करने वाले तीन सहकर्मी उनके घर पहुंचे। उन्होंने बताया कि शमसुद्दीन घायल अवस्था में श्मशान घाट पर पड़े हैं। बसरुद्दीन तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे, जहां भाई का हालत बेहद नाजुक था। जबड़ा टूटा हुआ था, आंखें बाहर निकली हुई थीं और चेहरा बुरी तरह क्षत-विक्षत हो चुका था।
बसरुद्दीन ने तुरंत इमरजेंसी नंबर 112 पर कॉल कर पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची ताजमहल थाना पुलिस ने घायल शमसुद्दीन को एंबुलेंस से एसएन मेडिकल कॉलेज भेज दिया। वहां डॉक्टरों ने बताया कि चेहरा और आंखों का हिस्सा गंभीर रूप से नष्ट हो चुका है। रविवार देर रात इलाज के दौरान शमसुद्दीन की मौत हो गई।
पुलिस जांच में क्या मिला?
एसीपी सैयद आरिफ अहमद ने बताया कि मामले की गहन जांच की जा रही है। घटनास्थल का मुआयना किया गया और आसपास के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली जा रही है। फुटेज में रात के समय किसी संदिग्ध व्यक्ति की आवाजाही नजर नहीं आई। पुलिस का प्रारंभिक अनुमान है कि यह किसी जंगली जानवर के हमले का मामला हो सकता है। याद रहे, पिछले साल ताजमहल के पास नगला तल्फी क्षेत्र में भी इसी तरह के हमले हुए थे, जिसमें जानवरों के चेहरे और आंखों पर गंभीर घाव मिले थे। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के सटीक कारण का पता चलेगा।
परिवार और स्थानीय लोगों का दर्द
शमसुद्दीन का परिवार सदमे में है। भाई बसरुद्दीन ने कहा, “मेरा भाई रात को अक्सर श्मशान घाट पर ही रुक जाता था। हमें कभी संदेह नहीं हुआ कि ऐसी घटना हो सकती है।” स्थानीय लोग भी इस घटना से दहशत में हैं, खासकर श्मशान घाट के आसपास के क्षेत्र में। कुछ ग्रामीणों ने जंगली जानवरों की समस्या को लेकर प्रशासन से सुरक्षा की मांग की है।