आगरा: सड़क हादसों में बढ़ती मौतों और पैदल यात्रियों की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ऐतिहासिक दिशा-निर्देश जारी किए। कोर्ट ने साफ कहा कि सड़क के डिजाइन या रखरखाव में कमी के कारण होने वाले हादसों के लिए संबंधित अधिकारी और ठेकेदार जिम्मेदार होंगे। यह फैसला आगरा डेवलपमेंट फाउंडेशन के सचिव केसी जैन और हेमंत जैन की याचिका पर आया, जिसमें फुटपाथ, जेब्रा क्रॉसिंग, रोड डिजाइन और अन्य कमियों को दूर करने की मांग की गई थी। कोर्ट ने पैदल यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोपरि बताते हुए अतिक्रमण और लापरवाही पर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए। अगली सुनवाई सात महीने बाद होगी।
याचिका और कोर्ट की टिप्पणी
केसी जैन ने 2016 से 2023 तक के आंकड़े पेश करते हुए बताया कि सड़क हादसों में 20% से अधिक मौतें पैदल यात्रियों की होती हैं। आगरा जैसे शहरों में खराब फुटपाथ, अतिक्रमण और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी से स्थिति गंभीर है। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद कहा, “अच्छी और सुरक्षित सड़कें नागरिकों का मूलभूत अधिकार हैं। राज्य सरकारों का कर्तव्य है कि वे अतिक्रमण-मुक्त फुटपाथ और सुरक्षित सड़कें सुनिश्चित करें।” कोर्ट ने सड़क सुरक्षा के लिए डेटा-आधारित कार्ययोजना बनाने और जिम्मेदारी तय करने पर जोर दिया।
सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख निर्देश
- फुटपाथ का ऑडिट: 50 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में सात महीने के भीतर फुटपाथों का ऑडिट अनिवार्य। बाजार, स्कूल, अस्पताल, रेलवे-बस स्टेशन और धार्मिक स्थलों को प्राथमिकता दी जाए। इंडियन रोड कांग्रेस (IRC) की गाइडलाइंस के अनुसार फुटपाथ की चौड़ाई, ऊंचाई, रैम्प और टेक्सटाइल पेवर्स का पालन हो।
- सीसीटीवी और ट्रैफिक नियम: प्रमुख सड़कों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। गलत लेन ड्राइविंग, खतरनाक ओवरटेकिंग, अवैध लाइट और हूटर पर सख्त कार्रवाई हो।
- हेलमेट अनिवार्य: दोपहिया वाहनों पर चालक और सवारी दोनों के लिए हेलमेट अनिवार्य। उल्लंघन पर ड्राइविंग लाइसेंस निलंबन की कार्रवाई और इसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाए।
- जिम्मेदारी तय: सड़क डिजाइन या रखरखाव में कमी से होने वाले हादसों के लिए संबंधित एजेंसी, अधिकारी और ठेकेदार जिम्मेदार होंगे। कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
- नए नियम और कार्ययोजना: सड़क सुरक्षा के लिए नए नियम बनाए जाएं। डेटा-आधारित योजना बनाकर हादसों की दर कम की जाए।
क्यों जरूरी था यह फैसला?
आगरा जैसे शहरों में फुटपाथों पर अतिक्रमण, जेब्रा क्रॉसिंग की कमी और खराब सड़क डिजाइन से पैदल यात्री हर दिन जोखिम में हैं। भारत में हर साल सड़क हादसों में डेढ़ लाख से अधिक मौतें होती हैं, जिनमें पैदल यात्रियों का बड़ा हिस्सा है। केसी जैन ने बताया, “आगरा में फुटपाथ या तो टूटे हैं या उन पर दुकानें हैं। पैदल यात्री सड़क पर चलने को मजबूर हैं, जिससे हादसे बढ़ रहे हैं।” कोर्ट के निर्देश अब स्थानीय प्रशासन को जवाबदेह बनाएंगे।
आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट ने सात महीने बाद ऑडिट और कार्रवाई की प्रगति पर रिपोर्ट मांगी है। राज्य सरकारों को IRC गाइडलाइंस लागू करने और अतिक्रमण हटाने के लिए तुरंत कदम उठाने होंगे। आगरा डेवलपमेंट फाउंडेशन ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताया और कहा कि यह शहरों को सुरक्षित बनाने में मील का पत्थर साबित होगा।