फिरोजाबाद: रामलीला प्रेमियों के लिए एक बड़ी राहत वाली खबर आ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने आज (बृहस्पतिवार) सुनवाई के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस विवादास्पद आदेश को रद्द कर दिया, जिसके तहत श्रीनगर रामलीला कमेटी द्वारा परिषदीय स्कूल के प्रांगण में आयोजित हो रही 100 साल पुरानी रामलीला पर रोक लगा दी गई थी। दो सदस्यीय पीठ ने लोगों की आस्था, परंपरा और मासूम बच्चों की पढ़ाई को ध्यान में रखते हुए यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भविष्य में धार्मिक आयोजनों के लिए वैकल्पिक स्थल सुनिश्चित किया जाए, लेकिन इस वर्ष की रामलीला को जारी रखने की अनुमति दी।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने याचिकाकर्ता प्रदीप सिंह राणा को फटकार लगाते हुए कहा, “यह रामलीला 100 साल से चल रही है, आप इसे स्वीकार भी करते हैं। फिर आखिर क्या रोक गया कि आप पहले अदालत नहीं गए? आयोजन 14 सितंबर से शुरू हो चुका था।” जस्टिस सूर्य कांत, उज्जल भuyan और एन कोटिस्वर सिंह की बेंच ने हाईकोर्ट के उस पैराग्राफ को स्थगित कर दिया, जो रामलीला पर रोक लगाता था। कोर्ट ने शर्त रखी कि छात्रों को कोई असुविधा न हो। साथ ही, इलाहाबाद हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि जिला प्रशासन से वैकल्पिक स्थल का प्रस्ताव मंगवाकर भविष्य के आयोजनों का समाधान निकाला जाए।
आज शाम से रामलीला फिर शुरू: कमेटी ने की घोषणा, शहर में उत्साह
शीर्ष अदालत के इस फैसले के बाद टूंडला शहर में खुशी की लहर दौड़ गई। श्रीनगर रामलीला महोत्सव कमेटी के पदाधिकारियों ने तुरंत घोषणा की कि आयोजन आज शाम से ही पुराने स्थान पर पूरी भव्यता के साथ फिर शुरू कर दिया जाएगा। हाईकोर्ट के आदेश के बाद सोमवार देर रात प्रशासन ने मंचन रुकवा दिया था, जिससे बुधवार को सीता-राम विवाह की लीला नहीं हो पाई। कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी और फैसला न आने पर मंचन न करने का संकल्प लिया था। लेकिन अब यह बरसों पुरानी परंपरा फिर जीवंत हो रही है।
हाईकोर्ट का विवादास्पद फैसला: PIL पर बच्चों की पढ़ाई का हवाला
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शहर निवासी प्रदीप सिंह राणा की जनहित याचिका (PIL) पर संज्ञान लेते हुए रामलीला मंचन पर रोक लगा दी थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि 18 दिनों के आयोजन से स्कूल के ग्राउंड पर बच्चों की पढ़ाई और खेल-कूद बाधित हो रही है। हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया था कि ग्राउंड को सीमेंट टाइल्स से स्थायी रूप से मंच में बदलने की कोशिश की जा रही है, जो स्कूल बच्चों के हित में नहीं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने परंपरा को प्राथमिकता देते हुए हाईकोर्ट के आदेश को पलट दिया।
प्रभाव: आस्था और शिक्षा का संतुलन, भविष्य में वैकल्पिक स्थल की मांग
यह फैसला न केवल टूंडला की जनता के लिए राहत है, बल्कि धार्मिक आयोजनों और सार्वजनिक संपत्ति के उपयोग पर एक महत्वपूर्ण उदाहरण भी। कमेटी ने कहा, “80-100 साल पुरानी यह रामलीला शहर की सांस्कृतिक धरोहर है। स्कूल प्रशासन को भी कभी आपत्ति नहीं थी।” स्थानीय लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का स्वागत किया और कहा कि यह आस्था की जीत है। पुलिस और प्रशासन ने भी शाम के आयोजन के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं।