लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मंगलवार को चारबाग रेलवे स्टेशन पर सैकड़ों आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ा प्रदर्शन किया। AICCTU के बैनर तले प्रदेश के 75 जिलों से आई आशा वर्कर्स ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और विधानसभा की ओर कूच करने की कोशिश की।

भीषण ठंड के बावजूद बड़ी संख्या में जुटी आशा वर्कर्स ने “दो हजार में दम नहीं, बीस हजार से कम नहीं” जैसे नारे लगाए। पुलिस ने चार थानों की फोर्स लगाकर बैरिकेडिंग कर दी और उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। स्टेशन परिसर में घंटों नारेबाजी और धरना चलता रहा।

प्रमुख मांगें:

  • 45वें-46वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों के अनुसार राज्य स्वास्थ्यकर्मी का दर्जा, न्यूनतम वेतन, मातृत्व अवकाश, ESI, PF, ग्रेच्युटी और पेंशन।
  • 10 लाख स्वास्थ्य बीमा और 50 लाख जीवन बीमा।
  • कार्य घंटे निर्धारित करना।
  • 2017 से लंबित भुगतानों का तत्काल भुगतान।
  • सेवानिवृत्ति पर ग्रेच्युटी।

कानपुर से आई आशा वर्कर नीतू दीक्षित (2006 से सेवा में) ने कहा, “मात्र 2000 रुपये में परिवार चलाना असंभव है। कोरोना में जान जोखिम में डालकर काम किया, लेकिन सुविधाएं नहीं मिलीं।”

अखिलेश यादव का तंज

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि ‘आशा’ के हिस्से अब सिर्फ निराशा आई है। उन्होंने तंज कसा कि CM कहेंगे प्रदर्शन हुआ ही नहीं, फिर AI से नारों को जयकारे में बदल देंगे। सपा इनकी मांगों के साथ खड़ी है और लड़ाई जारी रहेगी।

यह प्रदर्शन स्वास्थ्य क्षेत्र की जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी को उजागर करता है। स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।

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