लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक (DGP) राजीव कृष्ण ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को चरितार्थ करते हुए एक बड़ा कदम उठाया है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए स्टिंग वीडियो में वाहन चालकों से रिश्वत लेते कैमरे में कैद हुए तीन जिलों – चित्रकूट, बांदा और कौशांबी – के 11 पुलिसकर्मियों को तत्काल निलंबित कर दिया गया है। इनमें थाना प्रभारी (SHO), सब-इंस्पेक्टर (SI) और सिपाही शामिल हैं। DGP ने साफ चेतावनी दी है कि भ्रष्टाचार के प्रति किसी भी प्रकार की ढील बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
वायरल वीडियो का खुलासा: ट्रक चालकों से ‘एंट्री फीस’ की वसूली
घटना तब सुर्खियों में आई जब एक स्टिंग ऑपरेशन के तहत ट्रक ड्राइवरों से ओवरलोडेड वाहनों को पास करने के बहाने ‘एंट्री फीस’ के नाम पर हजारों रुपये की वसूली का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया। वीडियो में साफ दिख रहा है कि पुलिसकर्मी सड़क पर खड़े होकर वाहन चालकों को रोकते हैं और रिश्वत मांगते हैं। यह रैकेट कथित तौर पर बांदा, चित्रकूट और कौशांबी जिलों में समन्वित तरीके से चल रहा था, जहां ट्रक ड्राइवरों को अवैध रूप से ‘फीस’ देकर ही आगे बढ़ने दिया जाता था।
चित्रकूट एसपी अरुण कुमार सिंह ने वीडियो वायरल होते ही त्वरित कार्रवाई की। उन्होंने राजापुर थाने के एक सब-इंस्पेक्टर और भरतकोऊ, राजापुर व पहाड़ी थानों के सिपाहियों को सस्पेंड किया। इसी क्रम में बांदा और कौशांबी के थानों से भी संबंधित अधिकारी निशाने पर आए। कुल 11 निलंबित पुलिसकर्मियों में चित्रकूट के तीन थाना प्रभारी, एक SI और तीन सिपाही प्रमुख हैं, जबकि बांदा से एक SHO और एक सिपाही, तथा कौशांबी से शेष शामिल हैं।
DGP की चेतावनी: ‘भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस, सख्ती बरकरार’
DGP राजीव कृष्ण ने बुधवार शाम जारी आधिकारिक बयान में कहा, “भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी नीति अटल है। वायरल वीडियो के आधार पर तत्काल कार्रवाई की गई है और जांच पूरी होने पर दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।” उन्होंने सभी जिलों के पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि सड़क पर अवैध वसूली की शिकायतों पर तुरंत संज्ञान लें। राजापुर और कर्वी सदर सर्कल ऑफिसरों को इस रैकेट की गहन जांच सौंपी गई है।
यह कार्रवाई मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ‘जीरो टॉलरेंस टू करप्शन’ नीति के अनुरूप है, जो पुलिस विभाग में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से चलाई जा रही है। हाल ही में DGP कृष्ण ने छह जिलों (देवरिया, संभल, कौशांबी, बदायूं, गाजियाबाद और वाराणसी) के एसपी को शिकायतों के लापरवाह निपटारे पर फटकार लगाई थी।
प्रभावित जिलों में प्रभाव: ट्रांसपोर्टरों में राहत, पुलिस पर सवाल
स्थानीय ट्रांसपोर्टर संगठनों ने इस कार्रवाई का स्वागत किया है। चित्रकूट ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष ने बताया, “ये रिश्वतखोरी हमारी कमर तोड़ रही थी। अब उम्मीद है कि सड़कें सुरक्षित होंगी।” हालांकि, विपक्षी दलों ने इसे ‘टिप ऑफ द आइसबर्ग’ बताते हुए कहा कि भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हैं और ऊपरी स्तर पर भी जांच जरूरी है।
इस घटना ने एक बार फिर पुलिस सुधारों की आवश्यकता पर बहस छेड़ दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल निगरानी और ट्रेनिंग से ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है। फिलहाल, जांच जारी है और निलंबित पुलिसकर्मियों की विभागीय जांच तेजी से चल रही है।






