आगरा: आगरा कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीके गौतम की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उन पर फर्जी शैक्षिक दस्तावेजों और अनुसूचित जाति (एससी) प्रमाण पत्र का इस्तेमाल करने का आरोप लगा है। पूर्व प्राचार्य प्रो. अनुराग शुक्ला की शिकायत पर विशेष जांच टीम (एसटीएफ) ने मामले की जांच शुरू कर दी है। जांच पूरी होने के बाद पुलिस ने आधिकारिक तौर पर मुकदमा दर्ज कर लिया है। यह मामला कॉलेज प्रशासन में हलचल मचा रहा है।
प्रो. अनुराग शुक्ला ने शिकायत दर्ज कराई है कि डॉ. गौतम ने पीसी बागला कॉलेज, हाथरस से 1990 में एमए (अंग्रेजी) तृतीय श्रेणी में पास करने के बावजूद, उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा सेवा चयन आयोग के आवेदन में द्वितीय श्रेणी की फर्जी अंकतालिका जमा की। इसके अलावा, उन्होंने फर्जी एससी जाति प्रमाण पत्र का उपयोग कर आरक्षण का लाभ उठाया, जिसके आधार पर उन्हें प्राचार्य पद पर नियुक्ति मिली।
शिकायत के अनुसार, ये दस्तावेज कूटरचित हैं और इन्हें सत्यापित करने पर फर्जी साबित हुए। एसटीएफ ने प्रारंभिक जांच में इन आरोपों को गंभीर पाया, जिसके बाद मुकदमा दर्ज किया गया।
जांच का बैकग्राउंड
- शिकायत की शुरुआत: जून 2025 में प्रो. शुक्ला ने आगरा पुलिस और उच्च शिक्षा विभाग में शिकायत की।
- एसटीएफ की भूमिका: विशेष टीम ने दस्तावेजों की फॉरेंसिक जांच की, जिसमें एमए अंकतालिका और जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए।
- मुकदमा दर्ज: 8 जून 2025 को आगरा पुलिस ने धोखाधड़ी, जालसाजी और आरक्षण नियमों के उल्लंघन से जुड़ी धाराओं (आईपीसी 420, 467, 468 आदि) के तहत केस दर्ज किया।
कॉलेज में पिछला विवाद
आगरा कॉलेज में प्राचार्य पद को लेकर लंबे समय से विवाद चला आ रहा है। 2023 में डॉ. अनुराग शुक्ला को प्राचार्य नियुक्त किया गया था, लेकिन फर्जी दस्तावेजों के आरोप लगने पर उन्हें निलंबित कर दिया गया। उसके बाद डॉ. सीके गौतम को कार्यवाहक प्राचार्य बनाया गया, जो मार्च 2025 में स्थायी प्राचार्य बने। अब गौतम पर भी इसी तरह के आरोप लगे हैं, जिससे कॉलेज प्रशासन की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।
शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामले उच्च शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता की कमी को उजागर करते हैं। एक वरिष्ठ प्रोफेसर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “फर्जी दस्तावेजों से न केवल योग्य उम्मीदवारों का नुकसान होता है, बल्कि छात्रों के भविष्य पर भी असर पड़ता है।”
कॉलेज के छात्रों में असमंजस की स्थिति है। एक छात्रा ने बताया, “हमारे कॉलेज की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंच रही है। उम्मीद है कि जांच जल्द पूरी हो और दोषी को सजा मिले।”
पुलिस ने डॉ. गौतम को पूछताछ के लिए समन जारी किया है। जांच में यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो उनकी नियुक्ति रद्द हो सकती है और आपराधिक कार्रवाई होगी। उच्च शिक्षा विभाग ने भी मामले पर नजर रखी है।