त्यौहारी मिठाई ! भारत में त्योहारों का मौसम शुरू होते ही मिठाइयों की दुकानों पर रौनक बढ़ जाती है। रसगुल्ले, गुलाब जामुन, और बर्फी जैसी मिठाइयों को चांदी के वर्क (वरक) से सजाया जाता है, जो उन्हें आकर्षक और शाही बनाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह चमकदार “चांदी का वर्क” वास्तव में कितना सुरक्षित है? हाल के अध्ययनों और खाद्य विशेषज्ञों की चेतावनियों ने इस पर गंभीर सवाल उठाए हैं। आइए जानते हैं कि क्या आप अनजाने में अपनी सेहत को खतरे में डाल रहे हैं।
चांदी का वर्क: परंपरा या खतरा?
चांदी का वर्क मिठाइयों, पान, और अन्य खाद्य पदार्थों को सजाने के लिए सदियों से इस्तेमाल होता आ रहा है। इसे शुद्ध चांदी से बनाया जाता है, जो खाद्य-सुरक्षित मानी जाती है। लेकिन खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के अनुसार, केवल 99.9% शुद्ध चांदी का वर्क ही खाने योग्य होता है। समस्या यह है कि बाजार में मिलने वाला अधिकांश वर्क शुद्ध चांदी का नहीं होता। इसमें अक्सर एल्यूमिनियम या अन्य सस्ती धातुओं की मिलावट होती है, जो सेहत के लिए हानिकारक हो सकती हैं।
एल्यूमिनियम की मिलावट: कितना बड़ा जोखिम?
एल्यूमिनियम का वर्क, जो चांदी के वर्क से सस्ता होता है, कई दुकानों और छोटे-मोटे उत्पादकों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, एल्यूमिनियम की अत्यधिक मात्रा शरीर में जमा होने पर कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती है:
न्यूरोलॉजिकल समस्याएं: एल्यूमिनियम का अधिक सेवन मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे स्मृति हानि और अल्जाइमर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
पाचन तंत्र पर प्रभाव: यह पेट और आंतों में जलन पैदा कर सकता है, जिससे अपच और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
हड्डियों और किडनी पर असर: लंबे समय तक एल्यूमिनियम के संपर्क में रहने से हड्डियां कमजोर हो सकती हैं और किडनी की कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है।
कैसे बनता है वर्क?
वर्क बनाने की प्रक्रिया भी चिंता का विषय है। परंपरागत रूप से, चांदी या अन्य धातु को पतली परतों में पीटा जाता है, और कई बार इसे चमड़े की सतह पर तैयार किया जाता है। इससे बैक्टीरियल संदूषण का खतरा बढ़ जाता है। आधुनिक समय में, कुछ निर्माता मशीनों का उपयोग करते हैं, लेकिन सस्ते वर्क में मिलावट और अस्वच्छ परिस्थितियों की समस्या बनी रहती है।
FSSAI के नियम और हकीकत
FSSAI ने खाद्य पदार्थों में चांदी के वर्क के उपयोग के लिए सख्त दिशानिर्देश जारी किए हैं। नियमों के अनुसार, वर्क में केवल शुद्ध चांदी (99.9%) का उपयोग होना चाहिए, और इसे साफ-सुथरी परिस्थितियों में बनाया जाना चाहिए। लेकिन बाजार में मिलावटी और घटिया गुणवत्ता वाले वर्क की बिक्री आम बात है। कई छोटे दुकानदार और निर्माता लागत कम करने के लिए एल्यूमिनियम का उपयोग करते हैं, जिसके बारे में उपभोक्ताओं को जानकारी ही नहीं होती।
उपभोक्ता क्या करें?
🔹 तो क्या मिठाई खाना अब असुरक्षित है? घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सावधानी जरूरी है। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:
प्रमाणित दुकानों से खरीदें: हमेशा ऐसी दुकानों से मिठाई खरीदें, जो FSSAI प्रमाणित हों और गुणवत्ता की गारंटी दें।
पैकेजिंग की जांच करें: अगर मिठाई पर वर्क का उपयोग किया गया है, तो पैकेजिंग पर “100% शुद्ध चांदी का वर्क” लिखा होना चाहिए।
घर पर बनाएं मिठाई: त्योहारों में घर पर मिठाई बनाना न केवल सुरक्षित है, बल्कि यह एक मजेदार अनुभव भी हो सकता है।
जागरूक रहें: अगर मिठाई की सतह पर वर्क असामान्य रूप से चमकदार या सस्ती दिखे, तो सतर्क हो जाएं।
चांदी का वर्क भारतीय मिठाइयों की शान है, लेकिन इसकी शुद्धता और गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। मिलावटी वर्क न केवल आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है, बल्कि त्योहारों की खुशी को भी फीका कर सकता है। इस बार जब आप मिठाई खरीदने जाएं, तो थोड़ा सावधान रहें। आखिर, सेहत के साथ कोई समझौता नहीं होना चाहिए।
🔹…सन्त कुमार भारद्वाज…… ✍️
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