श्राद्ध पक्ष का महत्व | भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से सोलह दिवसीय श्राद्ध पक्ष प्रारंभ होता है। इस वर्ष 2025 में श्राद्ध पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर को होगी और इसका समापन 21 सितंबर को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या के साथ होगा। सनातन धर्म में श्राद्ध पक्ष का विशेष धार्मिक महत्व है। श्राद्ध शब्द श्रद्धा से बना है, जिसका अर्थ है पितरों के प्रति श्रद्धा भाव। हमारे रक्त में पितरों के अंश होते हैं, जिसके कारण हम उनके ऋणी हैं। इस ऋण को उतारने के लिए श्राद्ध कर्म का विधान है।

शास्त्रीय उक्ति:
श्रद्धया दीयते यस्मात् तच्छादम्
भावार्थ: श्रद्धा से किए गए श्राद्ध से श्रेष्ठ संतान, आयु, आरोग्य, अतुल ऐश्वर्य और इच्छित वस्तुओं की प्राप्ति होती है।

वेदों के अनुसार, श्राद्ध कर्म से पितृ ऋण चुकता होता है। पुराणों के अनुसार, श्रद्धायुक्त श्राद्ध से न केवल पितृगण तृप्त होते हैं, बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, अश्विनी कुमार, सूर्य, अग्नि, अष्टवसु, वायु, विश्वेदेव, ऋषि, मनुष्य, पशु-पक्षी और सरीसृप आदि सभी भूत प्राणी तृप्त होते हैं। संतुष्ट पितर मनुष्यों को आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, वैभव, पशु, सुख, धन और धान्य प्रदान करते हैं।

श्राद्ध-तर्पण और पिंडदान से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और कर्ता को पितृ ऋण से मुक्ति प्राप्त होती है।

श्राद्ध में भोजन

भोजन किसे कराएं

• 13 वर्ष तक के बच्चों की मृत्यु: छोटे बच्चों को भोजन कराएं।
• स्त्री (सुहागिन या विधवा) की मृत्यु: शास्त्रों में केवल ब्राह्मण को भोजन कराने का विधान है। स्त्री को पति के साथ भोजन कराया जा सकता है।

भोजन कैसा हो

• भोजन सात्विक, शुद्ध, पवित्र और पूर्वजों की प्रिय वस्तुओं से युक्त हो।
• घर की रसोई में बना भोजन उत्तम है।
• यदि घर में ताला हो, यात्रा पर हों या अस्पताल में हों, तो बाहर का सात्विक भोजन भी दे सकते हैं।

भोजन के लिए उत्तम स्थान

• देवालय, मंदिर, तीर्थस्थल, नदियों के किनारे, निजी मकान या किराए के घर में श्राद्ध करना उत्तम है।
• सगे-संबंधी या रिश्तेदार के घर में श्राद्ध नहीं करना चाहिए।

पंचबली (पंच ग्रास)

• भोजन से पहले गाय, कुत्ता, कौवा, देवता और चींटी के लिए भोजन अवश्य निकालें।
• भोजन के बाद ब्राह्मणों को दान देकर उनका आशीर्वाद लें।

पितृ दोष

अवधि: यदि श्राद्ध कर्म नहीं किया जाता, तो सात पीढ़ियों तक पितृ दोष का प्रभाव रह सकता है।
प्रभाव: करियर में परेशानी, विवाह में बाधा और धन हानि।

श्राद्ध कर्म कब शुरू करें

• किसी व्यक्ति की मृत्यु के 1 वर्ष बाद वार्षिक श्राद्ध शुरू होता है।
• इसके बाद हर वर्ष पितृ पक्ष में श्राद्ध करना चाहिए।

पितृ पक्ष 2025 में एक साथ पड़ने वाले श्राद्ध

• कुछ पंचांगों में तृतीया और चतुर्थी (10 सितंबर) एक साथ।

• कुछ पंचांगों में पंचमी और षष्ठी (11 सितंबर) एक साथ।

पितरों को प्रसन्न करने के मंत्र-

🔹ॐ पितृभ्य: नम:

🔹ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।

    नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:

🔹ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।

श्राद्ध के लाभ-

पितृ दोष से मुक्ति: जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
कुटुंब का भविष्य: संतान और परिवार को शुभ फल मिलते हैं।
अपयश से मुक्ति: श्राद्ध से अपयश का भय समाप्त होता है।
पितरों का आशीर्वाद: पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

तर्पण कौन कर सकता है!

• घर का सबसे बड़ा पुरुष सदस्य तर्पण करता है।
• यदि पुरुष सदस्य न हो, तो पुत्र, पौत्र, नाती या पौते तर्पण कर सकते हैं।
• इनके अभाव में स्त्री भी तर्पण कर सकती है, जैसा कि माता सीता ने दशरथ जी का तर्पण किया था।


पितृ पक्ष में वर्जित कार्य

तामसिक भोजन: मांस और शराब का सेवन निषिद्ध।
शुभ कार्य: विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, नए व्यवसाय की शुरुआत नहीं करनी चाहिए।
बाल और नाखून काटना: श्राद्ध करने वालों को 15 दिनों तक यह नहीं करना चाहिए।

श्राद्ध पक्ष 2025 तिथियां

तिथि श्राद्ध

07 सितंबर, 2025 _ पूर्णिमा श्राद्ध
08 सितंबर, 2025- प्रतिपदा श्राद्ध
09 सितंबर, 2025- द्वितीया श्राद्ध
10 सितंबर, 2025- तृतीया और चतुर्थी श्राद्ध
11 सितंबर, 2025- पंचमी और महाभरणी श्राद्ध
12 सितंबर, 2025- षष्‍ठी श्राद्ध
13 सितंबर, 2025- सप्‍तमी श्राद्ध
14 सितंबर, 2025- अष्‍टमी श्राद्ध
15 सितंबर, 2025- नवमी श्राद्ध
16 सितंबर, 2025- दशमी श्राद्ध
17 सितंबर, 2025- एकादशी श्राद्ध
18 सितंबर, 2025- द्वादशी श्राद्ध
19 सितंबर, 2025- त्रयोदशी और मघा श्राद्ध
20 सितंबर, 2025- चतुर्दशी श्राद्ध
21 सितंबर, 2025- सर्वपितृ अमावस्‍या

संपर्क: राज किशोर शर्मा “राज गुरुजी महाराज”,           महर्षि आश्रम, विन्ध्याचल – 9417335633

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