आगरा। सिकंदरा थाना क्षेत्र में महिला शिक्षिका की गंभीर शिकायत को हल्का करके दिखाने के आरोप अब पुलिस कमिश्नरेट तक पहुंच गए हैं। शिक्षिका ने पुलिस आयुक्त के समक्ष सीसीटीवी फुटेज, फोटोग्राफ और कॉल लॉग जैसे साक्ष्यों के साथ पेश होकर सिकंदरा पुलिस की कार्रवाई पर खुले तौर पर सवाल उठाए।
शिक्षिका का आरोप है कि जिस मामले में सेक्स रैकेट, नशीले पदार्थों की सप्लाई, संदिग्ध गतिविधियां और ऑपरेशन जैसी स्थिति के स्पष्ट संकेत थे, उसे थाने ने जानबूझकर पति–पत्नी विवाद बनाकर दबा दिया।
आवास विकास सेक्टर–11 निवासी शिक्षिका ने बताया कि वह चार महीने से मायके में रह रही थीं। इस दौरान पति की शह पर घर में संदिग्ध लोगों का आना-जाना बढ़ गया। उनका दावा है कि घर से देह व्यापार, ड्रग सप्लाई और अन्य आपराधिक गतिविधियां संचालित की जा रही थीं। इसी आधार पर उन्होंने 26 अक्टूबर को 112, 1090 और 1076 पर कॉल करके तत्काल कार्रवाई की मांग की थी।
शिकायत पर मौके पर पहुंची पुलिस टीम को घर के भीतर चार महिलाएं और दो युवक मिले। भीड़ की मौजूदगी में सभी को थाने ले जाया गया। वायरल फुटेज और तस्वीरों में पुलिस द्वारा घर की तलाशी, युवक–युवतियों को गाड़ियों में बैठाकर ले जाने और पूरे घटनाक्रम के बड़े ऑपरेशन जैसा माहौल साफ दिखाई देता है।
पुलिस कमिश्नर के सामने शिक्षिका ने सवाल उठाया कि “मैंने शिकायत देह व्यापार, नशा बेचने और संदिग्ध नेटवर्क चलाने की दी थी, लेकिन थाने ने सारे गंभीर आरोप हटाकर केवल धारा 151 में कार्रवाई कर दी। इतना बड़ा ऑपरेशन आखिर कैसे पति–पत्नी के ‘झगड़े’ में बदल गया?”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर गलत रिपोर्ट भेजी और शिकायत को वैवाहिक विवाद बताकर दर्ज कर दिया। न तो देह व्यापार की धाराएं लगाई गईं, न एनडीपीएस की जांच हुई और न ही किसी कथित नेटवर्क की छानबीन की गई।
सिकंदरा पुलिस ने आरोपी पति, तीन युवकों, एक युवती और मौके पर मौजूद एक यूट्यूबर तक को शांति भंग के आरोप में धारा 151 के तहत चालान कर दिया। इसमें किसी भी गंभीर अपराध से जुड़ी धारा शामिल नहीं की गई।
शिक्षिका ने सभी साक्ष्य पुलिस आयुक्त को सौंप दिए। सूत्रों के अनुसार, पुलिस कमिश्नर ने पूरा मामला सत्यापित कर स्वतंत्र जांच कराने का आश्वासन दिया है।





