दिल्ली/एजेंसी।  में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने देश की जनसंख्या नीति और सुरक्षा को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा और जनसांख्यिकीय संतुलन के लिए हर परिवार में तीन बच्चे होने चाहिए, लेकिन इससे अधिक नहीं। भागवत ने जनसंख्या असंतुलन को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया और कहा कि इससे देश में सामाजिक और सांस्कृतिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

जनसंख्या असंतुलन और देश का बंटवारा

मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा, “जनसंख्या असंतुलन से दिक्कत होती है। डेमोग्राफी बदलने से इतिहास में देशों के बंटवारे हुए हैं। अगर जनसंख्या का स्वरूप बदलता है, तो यह देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा बन सकता है।” उन्होंने धर्मांतरण और अवैध घुसपैठ को रोकने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि ये दोनों मुद्दे जनसांख्यिकीय संतुलन को प्रभावित करते हैं।

धर्मांतरण पर सख्त रुख

भागवत ने धर्मांतरण के मुद्दे पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “धर्म एक व्यक्तिगत पसंद है, लेकिन लोभ, लालच या दबाव के जरिए धर्म परिवर्तन नहीं होना चाहिए। इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।” उन्होंने यह भी चिंता जताई कि जनसंख्या वृद्धि के पीछे के इरादों पर ध्यान देना जरूरी है।

विश्लेषण बिंदु:

• भागवत का यह बयान जनसंख्या नियंत्रण नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन की बात करता है।

• धर्मांतरण और घुसपैठ जैसे संवेदनशील मुद्दों पर उनकी टिप्पणी से राजनीतिक और सामाजिक बहस छिड़ सकती है।

• क्या यह बयान भारत की जनसंख्या नीति पर नई बहस को जन्म देगा?

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