आपातकाल की 50वीं बरसी पर वसुंधरा राजे से बदसलूकी, लोकतंत्र सेनानियों को नहीं मिली कुर्सी, मंच से हाथ जोड़कर माफी मांगनी पड़ी विधायक को

आगरा। आरबीएस कॉलेज स्थित राव कृष्ण पाल सिंह ऑडिटोरियम गुरुवार को अव्यवस्थाओं और हंगामे का केंद्र बन गया। आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर आयोजित चित्र प्रदर्शनी और सम्मान समारोह में वसुंधरा राजे सिंधिया को कार्यक्रम स्थल तक लाने में धक्का-मुक्की हो गई। अंदर गर्मी और कुर्सियों की किल्लत के कारण लोकतंत्र रक्षा सेनानी नाराज़ हो गए और जमकर हंगामा किया।

मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचीं भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ गेट से लेकर मंच तक अव्यवस्था दिखी। भीड़ इतनी बेकाबू थी कि पूर्व सीएम खुद साड़ी के पल्लू और कार्ड से हवा करती हुईं नजर आईं। वहीं लोकतंत्र रक्षक सेनानियों को बैठने के लिए कुर्सियाँ तक नहीं मिलीं। गुस्साए सेनानियों ने मंच के सामने नारेबाज़ी और धक्का-मुक्की शुरू कर दी।

स्थिति को बिगड़ता देख विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल को मंच से उतरकर खुद हाथ जोड़कर भीड़ को शांत करना पड़ा। अंततः कार्यक्रम के समापन पर कुछ सेनानियों को स्मृति चिह्न दिए गए, लेकिन वो भी कम पड़ गए। कई सेनानियों को सम्मान के लिए मंच पर नहीं बुलाया गया, जिससे नाराजगी और बढ़ गई।

वसुंधरा राजे का बड़ा बयान:रा। आरबीएस कॉलेज स्थित राव कृष्ण पाल सिंह ऑडिटोरियम गुरुवार को अव्यवस्थाओं और हंगामे का केंद्र बन गया। आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर आयोजित चित्र प्रदर्शनी और सम्मान समारोह में वसुंधरा राजे सिंधिया को कार्यक्रम स्थल तक लाने में धक्का-मुक्की हो गई। अंदर गर्मी और कुर्सियों की किल्लत के कारण लोकतंत्र रक्षा सेनानी नाराज़ हो गए और जमकर हंगामा किया।

मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचीं भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ गेट से लेकर मंच तक अव्यवस्था दिखी। भीड़ इतनी बेकाबू थी कि पूर्व सीएम खुद साड़ी के पल्लू और कार्ड से हवा करती हुईं नजर आईं। वहीं लोकतंत्र रक्षक सेनानियों को बैठने के लिए कुर्सियाँ तक नहीं मिलीं। गुस्साए सेनानियों ने मंच के सामने नारेबाज़ी और धक्का-मुक्की शुरू कर दी।

स्थिति को बिगड़ता देख विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल को मंच से उतरकर खुद हाथ जोड़कर भीड़ को शांत करना पड़ा। अंततः कार्यक्रम के समापन पर कुछ सेनानियों को स्मृति चिह्न दिए गए, लेकिन वो भी कम पड़ गए। कई सेनानियों को सम्मान के लिए मंच पर नहीं बुलाया गया, जिससे नाराजगी और बढ़ गई।

वसुंधरा राजे का बड़ा बयान:

“आपातकाल सत्ता का दुरुपयोग नहीं, बल्कि लोकतंत्र की हत्या थी। ये भारत के इतिहास का सबसे काला अध्याय है।”

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने आपातकाल को लोकतंत्र पर सबसे बड़ा हमला बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने इसे “संविधान हत्या दिवस” घोषित कर सही संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि उस समय की यातनाएं आज भी कई लोगों के ज़हन में ताज़ा हैं।

अन्य नेताओं की प्रतिक्रियाएं:

प्रो. एसपी सिंह बघेल (केंद्रीय मंत्री):

📍“आपातकाल में सिर्फ आज़ादी नहीं छीनी गई, आत्मसम्मान को भी कुचला गया। आज का सम्मान समारोह पीढ़ियों को जोड़ने वाला संदेश है।”

दुर्गविजय शाक्य (भाजपा क्षेत्रीय अध्यक्ष):

📍“कांग्रेस की तानाशाही के खिलाफ जिसने आवाज़ उठाई, उसे जेल में ठूंस दिया गया। ये पाप देश कभी नहीं भूलेगा।”

राजकुमार गुप्ता (महानगर अध्यक्ष):

📍 “कांग्रेस अब डिजिटल इमरजेंसी की ओर बढ़ रही है। वो मानसिकता आज भी नहीं बदली।”

प्रशांत पौनिया (भाजपा जिलाध्यक्ष):

📍 “लोकतंत्र की रक्षा में जिनका योगदान है, उन्हें हमारा सलाम। ये सम्मान सिर्फ कार्यक्रम नहीं, देश का कर्ज चुकाने जैसा है।”

जहां एक ओर आपातकाल के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों को सम्मान देने का मंच सजा था, वहीं दूसरी ओर कार्यक्रम की अव्यवस्थाएं और धक्का-मुक्की ने इसे विवादों के घेरे में ला दिया। एक ऐतिहासिक मौके पर हुई बदइंतज़ामी ने प्रशासन की तैयारियों पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया।




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