वारंट जारी होने पर पुलिस से सूचना लीक होने पर विश्वसनीय पुलिसकर्मियों को लगाया था गिरफ्तारी करने के लिए

आगरा। बांके बिहारी मंदिर के कॉरिडोर के लिए 510 करोड़ रुपये दान देने का हलफनामा देने वाले बिल्डर प्रखर गर्ग 9 करोड रुपए की ठगी के चेक बाउंस होने पर वारंट जानी होने पर अपनी पत्नी के साथ फरार हो गए थे। पुलिस पर आरोप था कि पुलिस वारंट जारी होने पर उसे सूचना दे देती है। इसके बाद एसीपी और इंस्पेक्टर हरीपर्वत ने विश्वसनीय पुलिसकर्मियों को उसे गिरफ्तार करने की जिम्मेदारी सौंप थी। आरोपी और उसकी पत्नी को जयपुर के फाइव स्टार होटल से गिरफ्तार किया गया है।


वर्ष 2024 में हरीपर्वत में एक मुकदमा प्रखर गर्ग के परिचित अरुण सोंधी ने लिखाया था। इसमें प्रखर गर्ग, उनकी पत्नी राखी गर्ग, सतीश गुप्ता, सुमित कुमार जैन और मुकेश जैन को नामजद किया। इसमें नौ करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया। मुकदमे के अनुसार, कमला नगर में एक होटल के द्वितीय व तृतीय तल को खरीदने का सौदा किया गया था। रजिस्ट्री नहीं करने पर पैसा वापस मांगने पर प्रखर गर्ग ने जो चेक दिए थे वह सभी बाउंस हो गए थे। इसको लेकर न्यायालय में केस चल रहा है। इसमें उसके वारंट भी जारी हुए थे लेकिन पुलिस ने उसे नहीं पकड़ा।

अरुण सोंधी ने इस बात की शिकायत की कि पुलिस उससे मिली हुई है इसलिए उसे गिरफ्तार नहीं कर रही है। वारंट जारी होने की सूचना देकर उसे भगा भी दिया जाता है। करीब 10 दिन पहले उसका फिर से गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ। एसीपी हरी पर्वत और इंस्पेक्टर हरी पर्वत प्रदीप त्रिपाठी ने संजय प्लेस पुलिस चौकी प्रभारी विनोद कुमार को उसे गिरफ्तार करने की जिम्मेदारी दी। चौकी प्रभारी विनोद कुमार और दीपक तिवारी उसे गिरफ्तार करने में जुट गए। दोनों को उसकी और उसकी पत्नी के जयपुर के फाइव स्टार होटल में होने की सूचना मिली।

पुलिस वहां पहुंची तो वह फाइव स्टार होटल में कई दिन से रुका हुआ था। वहां आराम से रह रहा था। पुलिस ने मौका देखते ही उसे और उसकी पत्नी को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार करने पर अधिकारियों के द्वारा चौकी प्रभारी विनोद कुमार और दीपक तोमर की पीठ थपथपाई जा रही है।


कुंभ में सांसद हेमा मालिनी के साथ संत बनकर लगाई थी डुबकी

नौ करोड रुपए की ठगी में जिस बिल्डर प्रखर कर का वारंट चल रहा था वह संत बनकर महाकुंभ में हेमा मालिनी के साथ डुबकी लगा रहा था। सोशल मीडिया पर उसका फोटो भी वायरल हुआ था। इसके बाद पुलिस की कार्य शैली पर भी सवाल खड़े हुए थे। पुलिस की पोल खुली थी कि पुलिस उसे जानबूझकर नहीं पकड़ती है।

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