📍समाचार सार
अक्षर पुरुष स्व. बनबारी लाल तिवारी की जयंती शताब्दी समारोह की श्रृंखला में बुधवार को भदावर विद्या मंदिर कॉलेज के पूर्व शिक्षक राम सिंह शर्मा और प्रतिभाशाली पूर्व छात्र पी.एल. शर्मा को प्रगतिशील शिक्षा प्रसार समिति ने उनके आवास पर सम्मानित किया।
समिति के सचिव मुकेश शर्मा ने बताया कि एक जुलाई को बाह में आयोजित मुख्य समारोह में जो लोग स्वास्थ्य कारणों से शामिल नहीं हो सके थे, उन्हें समिति द्वारा उनके निवास पर जाकर सम्मानित किया जा रहा है। बुधवार को शंकर देव तिवारी ने स्मृति चिन्ह और शॉल भेंट कर सम्मानित किया। इस मौके पर कमल चौधरी, मुकुल तिवारी, सत्य शर्मा, रमाकांत वर्मा और निर्देश तिवारी समेत अन्य लोग उपस्थित रहे।
• बनबारी लाल तिवारी की जयंती शताब्दी पर शिक्षा के दीपकों को नमन
रिपोर्ट 🔹मुकेश शर्मा
बाह/आगरा। “गुरु और शिष्य की परंपरा ही किसी समाज की असली पूंजी होती है” – इसी भाव को साकार करते हुए अक्षर पुरुष स्व. बनबारी लाल तिवारी की जयंती शताब्दी समारोह के अंतर्गत बुधवार को एक गरिमामय कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस अवसर पर भदावर विद्या मंदिर कॉलेज के पूर्व शिक्षक राम सिंह शर्मा और कॉलेज के प्रतिभाशाली पूर्व छात्र पी.एल. शर्मा को प्रगतिशील शिक्षा प्रसार समिति द्वारा उनके निवास पर सम्मानित किया गया।

समिति के सचिव मुकेश शर्मा ने बताया कि स्व. बनबारी लाल तिवारी ने शिक्षा को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का जो संकल्प लिया था, वह आज भी प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। उनकी स्मृति में एक जुलाई मंगलवार को बाह में आयोजित जयंती शताब्दी समारोह में कई पूर्व शिक्षक और छात्रों को सम्मानित किया गया था। जो लोग स्वास्थ्य कारणों से कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके, समिति उन्हें उनके घर जाकर सम्मानित कर रही है।
बुधवार को आयोजित इस सम्मान कार्यक्रम में समिति के प्रमुख शंकर देव तिवारी ने दोनों विभूतियों को शॉल और स्मृति चिन्ह भेंट करते हुए कहा –
“शिक्षक और छात्र किसी संस्था के दो मजबूत स्तंभ होते हैं। शिक्षक ज्ञान का प्रकाश देते हैं और छात्र उस प्रकाश को समाज में फैलाते हैं। यह सम्मान न केवल उनके योगदान का अभिनंदन है बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा भी है।”
इस अवसर पर मौजूद गणमान्य नागरिकों में कमल चौधरी, मुकुल तिवारी, सत्य शर्मा, रमाकांत वर्मा और निर्देश तिवारी समेत अन्य लोग शामिल रहे। सभी ने सम्मानितजनों के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि शिक्षा जगत में उनके प्रयास सदैव याद किए जाएंगे।
📍यह कार्यक्रम न केवल स्मृति का उत्सव था, बल्कि एक ऐसा भावनात्मक क्षण भी, जिसने शिक्षक-शिष्य परंपरा को और प्रगाढ़ कर दिया।
—