आगरा: नगर निगम में पिछले एक सप्ताह से एक सनसनीखेज घटनाक्रम ने माहौल को गर्मा रखा है। चर्चाओं का केंद्र वह दबंग है, जिसने विभागीय प्रभारी के दफ्तर में घुसकर पूरी प्रशासनिक व्यवस्था को खुलेआम ललकार दिया। घटना की भनक बाहर आते ही यह सवाल हवा में तैरने लगा कि आखिर वह कौन है, जिसकी इतनी हिम्मत हो गई कि नगर निगम के अधिकारी के दफ्तर में ही पिस्तौल टिकाने जैसी हरकत कर डाली?
दफ्तर में दाखिल हुआ दबंग, काम के लिए बनाया दबाव
सूत्र बताते हैं कि घटना बीते सप्ताह की है। नगर निगम के एक विभागीय प्रभारी अपने कक्ष में रुटीन कामकाज देख रहे थे। तभी एक दबंग, जिसके बारे में निगम में हर कोई फुसफुसाकर बात करता है, दफ्तर में घुस आया। उसने किसी विशेष काम को लेकर अधिकारी पर दबाव बनाया। जब अधिकारी ने नियमों का हवाला देते हुए आनाकानी की, तभी वह पल आया जिसने पूरे सिस्टम को हिला दिया।
पिस्तौल निकालकर कनपटी पर तान दी- अधिकारी अवाक!
अचानक दबंग ने पिस्तौल निकाली और विभागीय प्रभारी की कनपटी पर सटाकर कहा- काम वैसे ही करो, जैसा मैं चाहता हूं…. वरना अंजाम बुरा होगा।
कुछ पल के लिए पूरा माहौल जम-सा गया। अधिकारी के होश उड़ गए। ड्यूटी के दौरान किसी सरकारी अधिकारी के सामने इस तरह हथियार तानने की हिम्मत आखिर किसकी शह पर हुई? यह सवाल अब निगम के हर कोने में गूंज रहा है।
अधिकारी खौफ से चुप, पुलिस में शिकायत को भी तैयार नहीं
घटना के बाद अधिकारी इतना भयभीत हो गया कि उसने पुलिस में शिकायत करना तक उचित नहीं समझा। वरिष्ठ अधिकारियों को उसने घटना की जानकारी तो दी, लेकिन यह भी साफ कर दिया कि अगर शिकायत दी तो जान हथेली पर आ जाएगी। यानी दबंग का खौफ इस कदर है कि यह अधिकारी शिकायत करने की स्थिति में खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहा।
नगर निगम में अराजकता किसकी शह पर?
इस घटना ने नगर निगम के कामकाज और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या निगम का माहौल अपराधियों के लिए खुला मैदान बन चुका है? किसकी परछाई इस दबंग के सिर पर हाथ रखे हुए है? क्यों अधिकारी खुद को असुरक्षित मानते हुए शिकायत करने से डर रहे हैं? क्या नगर निगम में एक समानांतर दबंग शासन चल रहा है?
नगर निगम के कर्मचारियों और अधिकारियों की जुबान पर सिर्फ एक ही सवाल है- वह दबंग कौन है और उसकी इतनी हिम्मत क्यों और कैसे?
माहौल में भय, सिस्टम जर्जर
यह मामला सिर्फ एक अधिकारी की धमकाने भर का नहीं, बल्कि नगर निगम के ढांचे में घुसी बेहिसाब अराजकता और बाहुबल के बेलगाम प्रभाव का संकेत है। धीरे-धीरे यह घटनाक्रम हर मीटिंग, हर कॉरिडोर और हर चर्चा का हिस्सा बन चुका है। हर कोई जानना चाहता है कि आखिर वह ‘गनमैन दबंग’ है कौन, जो नगर निगम को अपनी जागीर समझ रहा है।
अगर इस घटना पर तत्काल कठोर कार्रवाई नहीं होती, यदि प्रशासन, पुलिस और शासन मज़बूत कदम नहीं उठाते, तो नगर निगम में आज जो गन निकली है, कल वह किसी और की कनपटी पर तानी जा सकती है। सवाल यह नहीं कि पिस्तौल किस पर तानी गई, सवाल यह है कि यह शहर किस दिशा में जा रहा है?





