• सात युवक अभी भी लापता, रेस्क्यू अभियान जारी

गोविन्द पाराशर, संवाददाता– आगरा

खेरागढ़/आगरा।  जनपद आगरा के खेरागढ़ क्षेत्र में उटंगन नदी में डूबे पांच युवकों की मौत ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया। वहीं सात युवक अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। ग्रामीणों के साथ साथ प्रशासनिक अमला भी रेस्क्यू अभियान में जुटा हुआ है।

   एसएन मेडिकल कॉलेज के पोस्टमार्टम हाउस में मृतक युवकों के शवों को लाया गया, जहां चिकित्सकों ने पोस्टमार्टम के बाद मौत का कारण सामने रखा– दम घुटने से हुई इनकी मौत। पेट और फेफड़ों में कीचड़ और पानी भरा होने की वजह से ऑक्सीजन की कमी ने इन युवा जिंदगियों को छीन लिया। इस हृदयविदारक घटना की रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है।

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पोस्टमार्टम में खुलासा: कीचड़ और पानी ने ली जान

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि बृहस्पतिवार रात को ओमपाल, गगन और मनोज के शवों का पोस्टमार्टम किया गया, जबकि शुक्रवार को भगवती और अभिषेक की बारी आई। सभी शवों में एक समान स्थिति देखी गई– फेफड़ों में झाग, सांस की नली और गले में कीचड़ भरा हुआ था। घंटों पानी में रहने के कारण शव पूरी तरह अकड़ गए थे और उनका रंग सफेद पड़ चुका था। पेट में कीचड़ और पानी भरा होने की वजह से यह स्पष्ट हुआ कि लंबे समय तक पानी में रहने के कारण इन युवकों की सांसें थम गईं।

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सायरनों की गूंज और परिजनों की सिसकियां

पोस्टमार्टम हाउस का माहौल उस दिन बेहद भारी था। जैसे ही एंबुलेंस के सायरन की आवाज गूंजती, परिजन उस ओर दौड़ पड़ते। शव बाहर लाए जाते ही चीखें और सिसकियां हवा में गूंज उठतीं। कोई अपने भाई को खो रहा था, तो कोई अपने बेटे को। परिजनों का दर्द देखकर वहां मौजूद हर शख्स की आंखें नम थीं। पड़ोसी और रिश्तेदार उन्हें ढांढस बंधाने की कोशिश करते, लेकिन दुख की इस घड़ी में सांत्वना के शब्द भी कम पड़ रहे थे।

शवों का सिलसिला और टूटी उम्मीदें

बृहस्पतिवार रात से शुरू हुआ शवों को लाने का सिलसिला शुक्रवार दोपहर तक चला। एक-एक कर पांच शव एंबुलेंस से पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। परिजन पहले ही वहां इंतजार कर रहे थे, लेकिन शवों को देखते ही उनका सब्र टूट गया। रोते-बिलखते परिजनों का दृश्य हर किसी का दिल दहला रहा था।

प्रशासन की कार्रवाई

पोस्टमार्टम के लिए दो टीमें गठित की गईं, जिनमें चिकित्सक और फार्मासिस्ट शामिल थे। सभी शवों की विस्तृत जांच के बाद तैयार की गई रिपोर्ट को शासन को भेजा गया है। इस त्रासदी ने न केवल परिवारों को, बल्कि पूरे समाज को गहरे सदमे में डाल दिया है।

यह दुखद घटना हमें नदियों और जलाशयों के खतरों के प्रति सचेत करती है। प्रशासन और समाज को मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

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