रिपोर्ट 🔹मु. इसरार खान -ब्यूरो चीफ
मुरैना/ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले ने नया मोड़ ले लिया है। वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल मिश्रा मंगलवार को वकीलों के एक बड़े काफिले के साथ ग्वालियर एसपी कार्यालय पहुंचे और स्वेच्छा से गिरफ्तारी देने की पेशकश की। हालांकि, पुलिस ने एफआईआर को ‘एकतरफा’ बताते हुए उनकी गिरफ्तारी से इंकार कर दिया। इस घटना ने स्थानीय स्तर पर सवर्ण एकता और जातिगत तनाव के नारों को जन्म दे दिया है, जो सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो रही है।
घटना का पूरा ब्योरा
अनिल मिश्रा, जो ग्वालियर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं, पर डॉ. अंबेडकर के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप है। यह विवाद ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में अंबेडकर की प्रतिमा स्थापना को लेकर पिछले कई महीनों से चल रहा है। मई 2025 से शुरू हुआ यह विवाद अब जातिगत रंग ले चुका है, जिसमें वकीलों के दो गुटों के बीच झड़पें, भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं की नारेबाजी और सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट शामिल हैं।
बसपा (बहुजन समाज पार्टी) के स्थानीय नेताओं ने अनिल मिश्रा के खिलाफ मुरैना जिला कलेक्टर कार्यालय में राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा था। इसके बाद मुरैना पुलिस ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी इस विवाद पर नाराजगी जताई थी, इसे ‘जातिवादी मानसिकता’ का परिणाम बताते हुए कहा था कि अंबेडकर विरोधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
आज सुबह अनिल मिश्रा वकीलों के समर्थन में पहुंचे एसपी ऑफिस के बाहर ‘सवर्ण एकता जिंदाबाद’ के नारे लगे। मिश्रा ने मीडिया से बातचीत में कहा, “वैचारिक मतभेद को अपराध कैसे बनाया जा सकता है? एफआईआर एकतरफा है। दूसरे पक्ष के लोग देवी-देवताओं पर टिप्पणी करते हैं, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। हम उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे।” एसपी कार्यालय से लौटते हुए उन्होंने चेतावनी दी कि अगर FIR रद्द न हुई तो वकील समुदाय सड़कों पर उतरेगा।
पुलिस का रुख: गिरफ्तारी से इंकार
ग्वालियर एएसपी कृष्ण लालचंदानी ने स्पष्ट किया कि एफआईआर की जांच चल रही है, लेकिन अभी गिरफ्तारी की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, “वकीलों की आपत्तियों को सुना जा रहा है। सोशल मीडिया पर विवादित पोस्ट्स को लेकर नोटिस जारी किए गए हैं, लेकिन मामला संवेदनशील है, इसलिए सतर्कता बरती जा रही है।” पुलिस ने जून 2025 में ही 6 सोशल मीडिया हैंडल्स को नोटिस जारी कर चुकी है, जो इस विवाद को भड़का रहे थे।
पृष्ठभूमि: अंबेडकर प्रतिमा विवाद का इतिहास
यह विवाद अप्रैल 2025 से गहरा रहा है:
• 21 अप्रैल 2025: हाईकोर्ट रजिस्ट्रार ने PWD को प्रतिमा स्थापना के लिए मंच बनाने के निर्देश दिए।
• 10 मई 2025: विरोधी वकीलों ने स्थल पर तिरंगा फहराया, पुलिस से झड़प हुई।
• मई 2025: भीम आर्मी कार्यकर्ताओं और वकीलों के बीच मारपीट, पुलिस तैनाती बढ़ी।
• जून 2025: यूट्यूबर अंजुल बम्हरोलिया को धमकियां मिलीं; अनिल मिश्रा ने भीम आर्मी पर बयान दिया।
• जुलाई 2025: हाईकोर्ट ने जबलपुर में बैठक बुलाई, लेकिन फैसला लंबित।
इस दौरान सोशल मीडिया पर दोनों पक्षों की भड़काऊ वीडियो वायरल हुए, जिससे तनाव बढ़ा। अनिल मिश्रा पर पहले भी अंबेडकर प्रतिमा विरोध के लिए आलोचना हो चुकी है।
सोशल मीडिया पर हंगामा
एक्स (पूर्व ट्विटर) पर #AnilMishra और #Ambedkar ट्रेंड कर रहा है। समर्थक ‘सवर्ण एकता’ के नारे लगा रहे हैं, जबकि आलोचक इसे ‘मनुवादी सोच’ बता रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “अंबेडकर के कानून ने इन सबको सबक सिखा दिया।” वहीं, भाजपा के एक स्थानीय नेता पर भी अंबेडकर विरोधी पोस्ट के लिए सवाल उठे हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
बसपा ने अनिल मिश्रा के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है, जबकि वकील संगठन इसे ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ का मामला बता रहे हैं। मायावती ने पहले ही जातिवादियों पर निशाना साधा था। पुलिस ने शांति बनाए रखने के लिए हाईकोर्ट परिसर में फोर्स तैनात कर दी है।