आगरा: आगरा में एक शोध छात्रा द्वारा प्रोफेसर पर लगाए गए शारीरिक शोषण के गंभीर आरोपों का मामला अब और उलझ गया है। आरोपी प्रोफेसर गौतम जैसवार की पत्नी डॉ. कविता चौधरी ने मीडिया के सामने आकर अपने पति को पूरी तरह निर्दोष बताते हुए छात्रा पर ब्लैकमेल और षड्यंत्र का आरोप लगाया है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉ. कविता ने कहा कि यह सब उनके पति की छवि खराब करने की साजिश है। मामला पुलिस और प्रशासन के स्तर पर जांच के दायरे में है, लेकिन परिवार का यह बयान बहस को नई दिशा दे रहा है।
पत्नी का दावा: “पति निर्दोष, छात्रा कर रही ब्लैकमेल”
डॉ. कविता चौधरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट शब्दों में कहा, “मेरे पति प्रो. गौतम जैसवार पूरी तरह निर्दोष हैं। यह एक सुनियोजित षड्यंत्र है, जिसमें छात्रा उन्हें फंसाने और पैसे की गैरकानूनी मांग कर रही है।” उन्होंने छात्रा के व्यवहार पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह परिवार के साथ घनिष्ठ संबंध रखती थी, लेकिन अब अचानक ऐसे आरोप लगा रही है। डॉ. कविता ने अपील की कि समाज और मीडिया मामले को एकतरफा न देखें और निष्पक्ष जांच हो।
दो साल चुप्पी का सवाल: “क्यों नहीं बोली पहले?”
डॉ. कविता ने सबसे बड़ा सवाल यही उठाया कि अगर छात्रा के साथ वास्तव में शोषण हुआ था, तो वह दो वर्षों तक चुप क्यों रही? “छात्रा बालिग और समझदार है, जो अपने फैसले खुद ले सकती है। वह हमारे घर आती-जाती थी, बच्चों से भी मिलती थी। ऐसे में ये आरोप संदेहास्पद लगते हैं,” उन्होंने कहा। परिवार के अनुसार, छात्रा का घर पर आना-जाना सामान्य था, जो अब आरोपों को कमजोर करने का आधार बन रहा है।
शपथ पत्र और FIR में विरोधाभास: “आरोप बढ़ा-चढ़ाकर पेश”
डॉ. कविता ने दावा किया कि छात्रा के पहले दिए शपथ पत्र में कई तथ्य ऐसे हैं जो आरोपों को झूठा साबित करते हैं। “FIR में ‘जबरिया यौन संबंध’ का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है। सब कुछ बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है,” उन्होंने कहा। यह दावा जांच एजेंसियों के लिए नया मोड़ ला सकता है, जहां दस्तावेजों की स्क्रूटनी तेज हो सकती है। प्रोफेसर की पत्नी ने इसे “करियर बर्बाद करने की साजिश” करार दिया और प्रशासन से तत्काल निष्पक्ष जांच की मांग की।
मामले का बैकग्राउंड: शोध छात्रा का आरोप और अब काउंटर-क्लेम
मामला तब शुरू हुआ जब शोध छात्रा ने प्रो. गौतम जैसवार पर शारीरिक शोषण का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज कराई। प्रोफेसर आगरा यूनिवर्सिटी से जुड़े हैं और छात्रा उनके गाइडेंस में रिसर्च कर रही थी। छात्रा के पक्ष में महिला संगठनों ने समर्थन जताया था, लेकिन अब परिवार का यह बयान बहस को संतुलित करने की कोशिश लग रहा है। सोशल मीडिया पर #JusticeForProfessor और #MeTooInAcademia जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जहां दोनों पक्षों के समर्थक सक्रिय हैं।
अपील: “सच्चाई सामने आए, निर्दोष को न्याय मिले”
डॉ. कविता ने अंत में कहा, “मेरे पति को अपनी सफाई देने का पूरा मौका मिलना चाहिए। हम जांच का स्वागत करते हैं, लेकिन पूर्वाग्रह से बचें।” यह मामला न केवल आगरा, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों में चर्चा का विषय बन गया है, जहां कार्यस्थल पर उत्पीड़न के आरोपों को लेकर सख्ती बढ़ रही है। पुलिस ने अभी तक दोनों पक्षों के बयान दर्ज किए हैं, और जांच जारी है।






