बस्ती। रविवार को प्रेस क्लब सभागार में साहित्यिक संस्था शव्द सुमन का 11 वां स्थापना दिवस साहित्यिक सरोकारों पर विमर्श, कवि सम्मेलन और सम्मान समारोह के साथ सम्पन्न हुआ।
प्रसिद्ध कवि अनुराग मिश्र ‘गैर’ ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि साहित्यिक पत्र पत्रिकाओं को समाज के स्तर पर सहयोग किये जाने की आवश्यकता है। उनकी पंक्तियां ‘ अपने ही पांव काटा था, हमारा एक दिन, अब हमारे हक में कुछ बैशाखियां लिख दीजिये’ को श्रोताओं ने सराहा। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ चिकित्सक डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि साहित्यिक पत्रिकायें जीवित रहे इसके लिये सबको आगे आना होगा। उनकी कविता ‘ जय चंद एक मर गया तो क्या हुआ वर्मा, अब भी हमारे देश में गद्दार बहुत है’ पर जोर दार तालियां बजी। शव्द सुमन के संस्थापक वरिष्ठ कवि डा. रामकृष्ण लाल जगमग ने अध्यक्षता करते हुये कहा कि साहित्यिक आयोजन आज की आवश्यकता है जिससे नई पीढी संवेदनशील होने के साथ ही अपने समाज के सत्य को समझ सके। उनकी कविता ‘ पहले बाप से डर लगता था, अब बेटों से डर लगता है’ ने बदलते समाज को रेखांकित किया।
मशहूर शायर कलीम कैसर ने शमा बांध दिया, उनका शेर ‘चाहतों की जरा सी दस्तक पर दिल का दरवाजा खोल सकता है, इश्क ऐसी जबान है प्यारे इसको गूंगा भी बोल सकता है’ के द्वारा समय को स्वर दिया। ओज के कवि डा. ओ.पी. वर्मा ‘ओम’ ने कुछ यूं कहा ’ जब जब ललकारा शत्रु न हमको हमने मजा चखाया है, निज सीमा पर हर दुश्मन को जमकर सबक सिखाया है’ के द्वारा जोश भर दिया। मोहतरमा डा. नुसरत अतीक की पंक्तियां ‘ अपने सुख दुःख का किसको यहां होश है, देश पर मर मिटे बस यही जोश है, वेद मैने पढा तो नहीं है मगर, वेदनायें पढी हैं, ये सन्तोष है, के द्वारा मंच को ऊंचाई दी। हास्य व्यंग्य के प्रसिद्ध कवि डा. विनय ‘आशु’ ने कुछ यूं कहा ‘ मेरे शव्दों से दिल के जज्बातांें को मत तौलो, दिल को पढने की खातिर दिल की आंखे खोलो’ के द्वारा श्रोताओं को ठहाका लगाने पर मजबूर किया। संचालन करते हुये विनोद उपाध्याय हर्षित ने कुछ यूं कहा ‘ वो दो कदम ही चल के बहुत दूर हो गये, लेकिन जुबां पे उनकी मेरा नाम रह गया’ के द्वारा मंच को नई दिशा दिया।
इस अवसर पर साहित्यिक संस्था शव्द सुमन द्वारा कवियों और प्रबुद्धजनों श्याम प्रकाश शर्मा, सुशील सिंह पथिक, सागर गोरखपुरी, अर्चना श्रीवास्तव, बी.के. मिश्र, डा. मुकेश कुमार मिश्र, सुरेन्द्र प्रताप सिंह, विजय मिश्र, राघवेन्द्र मिश्र, राकेश गिरी, हरीराम वंशल, सुशील सिंह, प्रतिमा मिश्रा, डा. अफजल हुसेन अफजल, डा. सत्यव्रत द्विवेदी, आदि को उनके योगदान के लिये अंग वस्त्र, सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में चन्द्र मोहन लाल श्रीवास्तव, हरिकेश प्रजापति, आशुतोष प्रताप यदुवंशी, दीपक सिंह प्रेमी, तौव्वाब अली, शाद अहमद शाद, जगदम्बा प्रसाद ‘भावुक’ डा. अजीत राज, के साथ ही बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।
मशहूर शायर कलीम कैसर ने शमा बांध दिया, उनका शेर ‘चाहतों की जरा सी दस्तक पर दिल का दरवाजा खोल सकता है, इश्क ऐसी जबान है प्यारे इसको गूंगा भी बोल सकता है’ के द्वारा समय को स्वर दिया। ओज के कवि डा. ओ.पी. वर्मा ‘ओम’ ने कुछ यूं कहा ’ जब जब ललकारा शत्रु न हमको हमने मजा चखाया है, निज सीमा पर हर दुश्मन को जमकर सबक सिखाया है’ के द्वारा जोश भर दिया। मोहतरमा डा. नुसरत अतीक की पंक्तियां ‘ अपने सुख दुःख का किसको यहां होश है, देश पर मर मिटे बस यही जोश है, वेद मैने पढा तो नहीं है मगर, वेदनायें पढी हैं, ये सन्तोष है, के द्वारा मंच को ऊंचाई दी। हास्य व्यंग्य के प्रसिद्ध कवि डा. विनय ‘आशु’ ने कुछ यूं कहा ‘ मेरे शव्दों से दिल के जज्बातांें को मत तौलो, दिल को पढने की खातिर दिल की आंखे खोलो’ के द्वारा श्रोताओं को ठहाका लगाने पर मजबूर किया। संचालन करते हुये विनोद उपाध्याय हर्षित ने कुछ यूं कहा ‘ वो दो कदम ही चल के बहुत दूर हो गये, लेकिन जुबां पे उनकी मेरा नाम रह गया’ के द्वारा मंच को नई दिशा दिया।
इस अवसर पर साहित्यिक संस्था शव्द सुमन द्वारा कवियों और प्रबुद्धजनों श्याम प्रकाश शर्मा, सुशील सिंह पथिक, सागर गोरखपुरी, अर्चना श्रीवास्तव, बी.के. मिश्र, डा. मुकेश कुमार मिश्र, सुरेन्द्र प्रताप सिंह, विजय मिश्र, राघवेन्द्र मिश्र, राकेश गिरी, हरीराम वंशल, सुशील सिंह, प्रतिमा मिश्रा, डा. अफजल हुसेन अफजल, डा. सत्यव्रत द्विवेदी, आदि को उनके योगदान के लिये अंग वस्त्र, सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में चन्द्र मोहन लाल श्रीवास्तव, हरिकेश प्रजापति, आशुतोष प्रताप यदुवंशी, दीपक सिंह प्रेमी, तौव्वाब अली, शाद अहमद शाद, जगदम्बा प्रसाद ‘भावुक’ डा. अजीत राज, के साथ ही बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।





