बरेली: देशभर में 2026 अंग्रेजी नववर्ष के जश्न की तैयारियां जोरों पर हैं, लेकिन इसी बीच ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने इस्लामी शरीयत के आधार पर फतवा जारी कर जश्न को नाजायज और हराम करार दिया है। उन्होंने इसे ईसाई समुदाय का धार्मिक अवसर बताया, जिसका इस्लाम से कोई संबंध नहीं।

मौलाना ने कहा कि शरीयत में नए साल पर मुबारकबाद देना, पार्टियां आयोजित करना, नाच-गाना, पटाखेबाजी, शोर-शराबा और फिजूलखर्ची सख्त मना है। ऐसे गैर-इस्लामी रिवाजों में शामिल होना गुनाह है। विशेष रूप से मुस्लिम युवक-युवतियों से अपील की गई कि 31 दिसंबर की रात फूहड़बाजी और आपत्तिजनक आयोजनों से दूर रहें।

उन्होंने याद दिलाया कि मुसलमानों का इस्लामी कैलेंडर मुहर्रम से शुरू होता है, जबकि हिंदू नववर्ष चैत्र मास से। किसी भी समुदाय को दूसरे धर्मों के नववर्ष आयोजनों में भाग नहीं लेना चाहिए। उलमा की जिम्मेदारी है कि मुसलमानों को भटकाव से बचाएं और शरीयत पर चलने की हिदायत दें।

यह फतवा चश्मे दारूल इफ्ता बरेली शरीफ से जारी हुआ है। मौलाना ने पिछले साल भी इसी तरह की अपील की थी। देशभर में न्यू ईयर पार्टियों, आतिशबाजी और उत्सव की तैयारियां चल रही हैं।

यह बयान धार्मिक परंपराओं और सांस्कृतिक उत्सवों पर बहस छेड़ सकता है। कुछ मुस्लिम नेताओं ने ऐसी अपीलों की आलोचना भी की है।

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