मथुरा/यूपी। जनपद मथुरा में 75 किलो चांदी की लूट… और फिर पुलिस का दावा – “एक आरोपी को एनकाउंटर में मार गिराया!”
नाम – नीरज बघेल, गांव धाना तेहरा का निवासी।
पुलिस का बयान – “लूट का मास्टरमाइंड, मुठभेड़ में ढेर!”
लेकिन कहानी यहां खत्म नहीं होती… असली ड्रामा तो तब शुरू होता है, जब नीरज के परिवार ने पुलिस की पूरी कहानी पर सवालों की बरसात कर दी!
परिवार का आरोप – ये मुठभेड़ नहीं, हत्या है!
नीरज के भाई मनोज का दावा –
“गुरुवार सुबह 11 बजे पुलिस नीरज को गांव से उठा ले गई थी। दोपहर में पुलिस टीम घर आई, कमरे की चाबी से ताला खोला और चांदी बरामद की।”
अगर ये सच है, तो फिर सवाल उठते हैं…
सवालों की लिस्ट – जो मथुरा पुलिस को जवाब देने होंगे!
- सुबह 11 बजे से रात तक नीरज पुलिस के पास था, तो मुठभेड़ क्यों?
- कोर्ट और कानूनी प्रक्रिया का क्या हुआ? क्या अब ‘एनकाउंटर’ ही सज़ा-ए-मौत है?
- जब चांदी घर से बरामद हुई, तो यह साफ है कि नीरज ज़िंदा पकड़ा गया था। फिर गोली क्यों?
- क्या पुलिस को मनमानी का अधिकार है कि जिसे चाहे, गोली से ‘न्याय’ दे दे?
- शव जलाने की इतनी जल्दी क्यों? क्या सबूत मिटाने की कोशिश हुई?
अंतिम संस्कार पर भी विवाद
परिवार का आरोप – पुलिस ने शव गांव पहुंचते ही पेट्रोल-डीज़ल डालकर जलाने का दबाव बनाया।
परिवार चाहता था – सुबह तक इंतज़ार।
हकीकत – पुलिस ने रोते-बिलखते परिजनों की एक न सुनी और तुरंत शव को जला दिया।
वीडियो सबूत भी सामने आया!
• एक वीडियो ने परिवार के आरोपों को और मजबूत कर दिया –
• जल्दबाज़ी, दबाव, और बिना अनुमति के अंतिम संस्कार।
ये सिर्फ एक मौत नहीं…
ये उस भरोसे की मौत है, जो हर नागरिक कानून-व्यवस्था पर करता है।
ये सवाल सिर्फ नीरज के परिवार का नहीं, बल्कि हर उस नागरिक का है जो मानता है – “वर्दी रक्षा करेगी, सज़ा नहीं देगी”।
📌 अब मथुरा पुलिस के पास एक ही जवाब देने का मौका है – क्या ये एनकाउंटर था, या एक कहानी का जबरन लिखा गया दुखद अंत?
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