लखनऊ। उत्तर प्रदेश की विवादास्पद 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षित वर्ग (SC/ST/OBC) के अभ्यर्थियों का गुस्सा एक बार फिर फूट पड़ा। शनिवार को लखनऊ में सैकड़ों अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के माल एवेन्यू स्थित सरकारी आवास का घेराव कर जोरदार प्रदर्शन किया। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई न होने और सरकार की कथित लापरवाही से आक्रोशित अभ्यर्थी धरने पर बैठ गए तथा “योगी बाबा न्याय करो”, “केशव चाचा न्याय करो” और “आरक्षण घोटाला बंद करो” जैसे नारे लगाए। भारी पुलिस बल ने प्रदर्शनकारियों को घसीटते हुए हटाया और बसों में भरकर इको गार्डन प्रदर्शन स्थल भेज दिया।
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे अभ्यर्थी नेता अमरेंद्र पटेल ने बताया कि 2018 में शुरू हुई इस भर्ती प्रक्रिया में आरक्षित वर्ग के साथ व्यापक अन्याय हुआ। कुल 69,000 पदों में OBC को 27% की बजाय मात्र 3.86% (करीब 2,637 सीटें) आरक्षण मिला, जबकि SC/ST अभ्यर्थियों को भी उनके हक से वंचित रखा गया। लाखों अभ्यर्थियों ने परीक्षा पास की, लेकिन मेरिट लिस्ट में आरक्षण नियमों का पालन न होने से हजारों योग्य उम्मीदवार नौकरी से महरूम हो गए।
हाईकोर्ट से राहत, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में ‘हीला-हवाली’
अभ्यर्थियों का आरोप है कि लखनऊ हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 13 अगस्त 2024 को उनके पक्ष में फैसला सुनाया था, जिसमें आरक्षण नियमों के अनुसार नियुक्ति का आदेश दिया गया। लेकिन योगी सरकार ने इसे जानबूझकर लटका दिया, जिससे मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट में अब तक 23 तारीखें लग चुकी हैं, लेकिन सरकार की ओर से कोई वकील पेश नहीं होता, जिससे सुनवाई लगातार टल रही है। एक महिला अभ्यर्थी ने भावुक होकर कहा, “हम पिछले 5 साल से बेरोजगार घूम रहे हैं। किराया-भाड़ा खर्च कर दिल्ली-लखनऊ आते हैं, लेकिन सिर्फ आश्वासन मिलता है। अब और इंतजार नहीं सहेगा।”
प्रदर्शन में महिलाओं की संख्या खासा थी। एक अभ्यर्थी ने बताया कि वे 100 से ज्यादा बार मंत्रियों के आवास घेर चुके हैं, लेकिन हर बार खाली हाथ लौटना पड़ता है। नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि जल्द न्याय न मिला तो आंदोलन और तेज होगा, जिसमें उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और अन्य पिछड़े-दलित मंत्रियों के आवास भी निशाने पर होंगे।
पुलिस कार्रवाई: बसों में ‘ठूंसकर’ इको गार्डन भेजा
प्रदर्शन के दौरान हंगामा बढ़ने पर पुलिस ने बल प्रयोग किया। वीडियो फुटेज में दिखा कि अभ्यर्थियों को जबरन खींचा गया और बसों में भर दिया गया। कोई चोटिल न होने की सूचना है, लेकिन अभ्यर्थियों ने इसे “दमनकारी कार्रवाई” करार दिया। इको गार्डन में पहुंचाने के बाद भी वे नारेबाजी जारी रखे हुए हैं।
पृष्ठभूमि: 7 साल पुराना विवाद
यह भर्ती 2018 में शुरू हुई थी, जब योगी आदित्यनाथ सरकार ने 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती निकाली। परिणाम आने पर आरक्षण में अनियमितताओं का खुलासा हुआ। हाईकोर्ट ने कई बार हस्तक्षेप किया, लेकिन सरकार की ओर से अपील पर मामला सुप्रीम कोर्ट चला गया। विपक्षी दल इसे “आरक्षण घोटाला” बता चुके हैं और विधानसभा में भी उठा चुके हैं। अभ्यर्थियों का कहना है कि दागी अधिकारियों को हटाकर पारदर्शी प्रक्रिया शुरू की जाए।
सरकार की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन स्रोतों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में पैरवी मजबूत करने के निर्देश दिए गए हैं। यह प्रदर्शन बेरोजगारी और आरक्षण नीति पर सवाल खड़े करता है, जो उत्तर प्रदेश की राजनीति में गरमाता जा रहा है।






