रिपोर्ट 🔹सुशील गुप्ता
फतेहाबाद/आगरा। शक्ति उपासना का पावन पर्व गुप्त नवरात्रि इस वर्ष 26 जून 2025 (गुरुवार) से प्रारंभ होकर 4 जुलाई 2025 (शुक्रवार) तक मनाया जाएगा।
यह जानकारी श्री हरिधाम से प्रख्यात कथा व्यास आचार्य श्री रामनजर जी महाराज (पूज्य श्रीहरि जी महाराज) ने दी।
आचार्य जी ने बताया कि श्रीमद्देवी भागवत महापुराण के अनुसार, वर्ष में चार बार नवरात्रि आती है —
- चैत्र मास
- आश्विन मास
- आषाढ़ मास
- माघ मास
इनमें चैत्र और आश्विन मास की नवरात्रियाँ तो जनसामान्य में प्रसिद्ध हैं, लेकिन आषाढ़ और माघ की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। ये उपासना, तंत्र, साधना और गूढ़ आराधना के लिए विशेष मानी जाती हैं।
गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व
पूज्य श्रीहरि जी महाराज ने बताया कि गुप्त नवरात्रि में सच्ची श्रद्धा और नियम से की गई मां दुर्गा की आराधना बहुत शीघ्र फल देने वाली होती है।
इस अवधि में किया गया गणपति पूजन, कलश स्थापना, अखंड ज्योति प्रज्वलन, नवार्ण मंत्र जाप और हवन विशेष फलदायी होता है।
जो साधक रोजाना हवन नहीं कर सकते, वे किसी विद्वान ब्राह्मण से नवचंडी पाठ या दुर्गा सप्तशती का पाठ करवाकर नवमी तिथि पर हवन करा सकते हैं।
श्रद्धा से करें देवी साधना
गुप्त नवरात्रि का यह समय आंतरिक साधना, मौन तप, और मनोकामना पूर्ति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
श्रद्धालुजनों से अपील है कि इस पावन अवसर पर व्रत, पूजा, जाप और यज्ञ के माध्यम से माता रानी की कृपा प्राप्त करें।
हिंदू पंचांग के अनुसार, गुरुवार 25 जून को शाम 04 बजे से आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 26 जून को दोपहर 01 बजकर 24 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए 26 जून से गुप्त नवरात्र शुरू होगी।
विशेष तिथियाँ:
प्रारंभ: 26 जून 2025 (गुरुवार)
समापन: 4 जुलाई 2025 (शुक्रवार)
घटस्थापना समय – 26 जून को सुबह 05 बजकर 25 मिनट से लेकर सुबह 06 बजकर 58 मिनट तक।
अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11 बजकर 56 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक।
गुप्त नवरात्र में इन बातों का रखें ध्यान
- इन नौ दिनों में मांसाहार, प्याज, लहसुन और अन्य तामसिक भोजन का सेवन बिल्कुल न करें।
- नवरात्र के दौरान बाल और नाखून काटने से बचें।
चमड़े से बनी वस्तुओं जैसे बेल्ट, पर्स आदि का प्रयोग न करें। - घर में शांति और सकारात्मक माहौल बनाए रखें।
लड़ाई-झगड़े, बहस और अपशब्दों का प्रयोग बिल्कुल न करें। - व्रती दिन में सोने से बचें।
- मन में किसी के प्रति बुरे विचार न लाएं।
- इन नौ दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- देवी की पूजा पूरे विधि-विधान से करें।
- पूजा सामग्री और विधि में किसी भी तरह की कमी न छोड़ें।
- स्त्री का अपमान भूलकर भी न करें।
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