करवा चौथ का पावन पर्व विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन सुहागिनें अपने पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य की कामना से निर्जला व्रत रखती हैं। वर्ष 2025 में यह व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाएगा। आइए जानें इसकी तिथि, पूजन मुहूर्त, विधि, सामग्री, कथा, महत्व और विशेष बातें।
ज्योतिषाचार्य “राज गुरुजी महाराज” के अनुसार, करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन सुहागिन अपने पति की सलामती और दीर्घायु होने की कामना के साथ दिन भर निर्जला उपवास रख माता पार्वती सहित पूरे शिव परिवार की आराधना करती हैं, इस व्रत में चंद्रमा का विशेष महत्व होता है। चंद्रोदय के पश्चात ही रात्रि के समय व्रत तोड़ा जाता है। व्रती पहले चंद्रमा को अर्घ्य प्रदान करती हैं। तत्पश्चात छलनी से चंद्रमा के साथ पति का चेहरा देखकर चंद्रमा को अर्घ देती है
10 अक्टूबर की रात 7.58 बजे के बाद चंद्रमा को अर्घ्य प्रदान किया जाएगा। महिलाएं इस दिन कठिन व्रत का पालन करती हैं और विधिवत पूजा-अर्चना कर पति की लंबी आयु, सौभाग्य व सलामती की कामना करती हैं।
छलनी से करती हैं चन्द्रमा और पति का दर्शन:
इस व्रत के अंत में महिलाएं चंद्रमा और अपने पति का प्रत्यक्ष दर्शन न कर छलनी से दर्शन करती हैं। मान्यता है कि छलनी में हजारों छेद होते हैं, जिससे चांद के छेदों की संख्या जितने प्रतिबिंब दिखते हैं। अब छलनी से पति को देखती हैं तो उनकी आयु भी उतनी गुणा बढ़ जाती है।
इस दिन शिव, भगवान गणेश और कार्तिकेय की भी पूजा होती है, लड़कीं प्रधानता चन्द्रमा की होती है। चंद्रमा को पुरुष रूपी ब्रह्मा का स्वरूप माना जाता है।
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पहली बार माता पार्वती ने किया था करवा चौथ व्रत
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पहली बार माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए यह व्रत रखा था।माता सीता ने भी भगवान श्रीराम के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था। तब से सुहागिनें अखण्ड सौभाग्य हेतु इस व्रत का पालन करती है।
करवा चौथ का पर्व देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस व्रत को करने से विवाहित महिलाओं के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है।
10 अक्टूबर को सुहागिन महिलाओं का सबसे खास त्योहार है, करवा चौथ. करवा चौथ को करक चतुर्थी या कराका चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. मुख्यत: यह पर्व उत्तर भारत में सभी राज्यों में मनाया जाता है. इस पवित्र दिन पर सुहागिन महिलाएं अपने पति के लिए व्रत रखती हैं और उनकी लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है.
इस साल करवा चौथ का व्रत बेहद खास रहने वाला है. ज्योतिष गणना के अनुसार, इस बार करवा चौथ पर लाभ उन्नति मुहूर्त, सिद्धि योग और शिववास योग का निर्माण हो रहा है. इसके अलावा, इस दिन शुक्रादित्य योग का संयोग भी बनेगा.
करवा चौथ का पूजन मुहूर्त
करवा चौथ की तिथि का आरंभ 9 अक्टूबर, रात 10 बजकर 54 मिनट पर होगा और तिथि का समापन 10 अक्टूबर को शाम 7 बजकर 37 मिनट पर होगा. ऐसे में 10 अक्टूबर को करवा चौथ का पूजन मुहूर्त शाम 5 बजकर 57 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 11 मिनट तक रहेगा.
करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय
इस बार करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय रात 8 बजकर 13 मिनट से शुरू होगा. वहीं, दिल्ली और एनसीआर में भी चंद्रोदय का समय रात 8 बजकर 13 मिनट ही रहेगा.
करवा चौथ पर बनेगा लाभ उन्नति मुहूर्त
इस साल करवा चौथ का चांद कई शुभ संयोगों से चमकने वाला है जिसमें सबसे खास मुहूर्त है लाभ-उन्नति मुहूर्त. इस दिन लाभ-उन्नति मुहूर्त रात 9 बजकर 02 मिनट से शुरू होकर रात 10 बजकर 35 मिनट तक रहेगा, जिसमें आप पूजन और कुछ शक्तिशाली उपाय कर सकते हैं.
करवा चौथ व्रत के दिन स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर 16 श्रृंगार करें और निर्जला व्रत रहें. उसके बाद, अपने घर की उत्तर या पूर्व दिशा में एक पाटे पर सवा मीटर लाल वस्त्र बिछाएं और गौरी गणेश को विधिपूर्वक स्थापित करें. फिर, षोडषोपचार पूजन रोली-मौली, चावल, धूप-दीप से पूजा अर्चना कर श्रृंगार सामग्री साड़ी वस्त्र आदि मनसे इस दिन देवी गौरी को श्रृंगार सामग्री जरूर अर्पित करें और उनके चरण छूकर आशीर्वाद लें,
फिर, एक करवे में गेहूं तथा ढक्कन में मिठाई रखें और एक जल का पात्र उनके सामने रखें. अब अपने पति की लंबी आयु की कामना और अपने दांपत्य जीवन को सुखद करने की प्रार्थना करें. रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति का आशीर्वाद लें और उनके हाथ से जल पीकर व्रत का पारण करें. फिर, परिवार के सभी सदस्यों को भोजन कराकर स्वयं प्रसाद ग्रहण करें.
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