मथुरा/नई दिल्ली — सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षकों के लिए टीईटी (TET) पास करना अनिवार्य करने के फैसले के बाद प्रदेशभर में विरोध की लहर उठी है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि सभी शिक्षकों को TET परीक्षा पास करना जरूरी है, हालांकि यह नियम उन पर लागू नहीं होगा जिनकी नौकरी को पाँच वर्ष से अधिक हो चुके हैं।

फैसले से आक्रोशित शिक्षकों का कहना है कि यह निर्णय उनके जीवन पर कुठाराघात है। कई वर्षों से सेवा कर रहे, शादीशुदा और बच्चों वाले शिक्षक अब असुरक्षा की स्थिति में आ गए हैं। यदि वे परीक्षा पास नहीं कर पाते तो उनकी नौकरी समाप्त हो जाएगी, जिससे परिवार और बच्चों का भविष्य संकट में पड़ जाएगा।

शिक्षकों ने तर्क दिया कि यदि यह नियम लागू करना था तो शुरुआत से ही नई भर्तियों में शर्त रखी जानी चाहिए थी। अब नौकरी कर रहे शिक्षकों पर अचानक यह दबाव डालना अमानवीय है।

इस निर्णय के विरोध में जगह-जगह प्रदर्शन और धरने हो रहे हैं। बताया जाता है कि कई शिक्षकों ने आत्महत्या तक कर ली है, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है।

शिक्षक संगठनों का कहना है कि सरकार इस मामले में मौन समर्थन दे रही है, जबकि देश पहले से ही बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है। उनका आरोप है कि “सरकार नौकरी देने की बजाय नौकरी छीन रही है।”

विरोध कर रहे शिक्षक नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते इस पर उचित समाधान नहीं निकाला गया तो इसका असर देश की स्थिरता पर भी पड़ सकता है।

राहुल गौड एक अनुभवी पत्रकार हैं, जिन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में कार्य करने का 10 वर्षों से अधिक का अनुभव है। उत्तर प्रदेश के जनपद मथुरा में सक्रिय रहते हुए उन्होंने विभिन्न समाचार माध्यमों के लिए निष्पक्ष और प्रभावशाली रिपोर्टिंग की है। उनके कार्य में स्थानीय मुद्दों की गंभीर समझ और जनसरोकार से जुड़ी पत्रकारिता की झलक मिलती है।

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