नई दिल्ली ।देश के प्रतिष्ठित चिकित्सा विशेषज्ञ और शिक्षाविद् डॉ. हरी प्रताप गौतम (Dr. Hari Gautam) का निधन हो गया। उनके जाने से न सिर्फ चिकित्सा जगत, बल्कि शिक्षा और प्रशासन के क्षेत्र में भी गहरा शोक व्याप्त है।
डॉ. गौतम, जिन्हें देश एक दूरदर्शी कार्डियक सर्जन और शिक्षा सुधारक के रूप में जानता है, ने अपने जीवन में कई ऐतिहासिक पदों की शोभा बढ़ाई। वे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के कुलपति रहे। साथ ही उन्होंने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के अध्यक्ष के रूप में 1999 से 2002 तक उच्च शिक्षा को नई दिशा दी।
डॉ. गौतम ने अपने करियर में चिकित्सा शिक्षा को मानवीय मूल्यों से जोड़ने की अनूठी परंपरा बनाई। वे महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज़ एंड टेक्नोलॉजी, जयपुर में प्रधान सलाहकार और एडवांस्ड एकेडमिक अफेयर्स के निदेशक पद पर कार्यरत थे।
भारत में कार्डियोथोरेसिक सर्जरी के क्षेत्र में उनकी भूमिका मील का पत्थर साबित हुई। उनके योगदान को देखते हुए उन्हें देश के सर्वोच्च चिकित्सा सम्मान “डॉ. बी.सी. रॉय राष्ट्रीय पुरस्कार” से नवाजा गया था।
उनका व्यक्तित्व प्रशासनिक दृढ़ता, विनम्रता और मानवीय संवेदना का अद्भुत संगम था। उन्होंने कई सरकारी समितियों में उच्च शिक्षा और मेडिकल सुधार के लिए निर्णायक भूमिका निभाई।
देश के दस से अधिक विश्वविद्यालयों ने उन्हें मानद डॉक्टर ऑफ साइंस (D.Sc.) की उपाधि से सम्मानित किया, और उन्होंने अनेक विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोहों में अपने प्रेरणादायी विचारों से नई पीढ़ी को दिशा दी।
डॉ. गौतम के निधन से चिकित्सा और शिक्षा जगत में एक अपूरणीय शून्य पैदा हो गया है। वे अपने पीछे ऐसी विरासत छोड़ गए हैं जो आने वाले समय में अनगिनत डॉक्टरों, शिक्षकों और प्रशासकों को प्रेरित करती रहेगी।
“एक सर्जन जिसने दिलों को जोड़ा, और एक शिक्षक जिसने आत्माओं को छुआ।”
🌹🙏🌹 श्रद्धांजलि: डॉ. हरी प्रताप गौतम (1940 – 2025)
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