लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के निगोहां थाना क्षेत्र में बीमारियों के इलाज के बहाने सैकड़ों हिंदुओं को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने वाले एक संगठित गिरोह का भंडाफोड़ हो गया है। पुलिस ने इस रैकेट के मास्टरमाइंड मलखान उर्फ मैथ्यूज को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि उसके ‘चंगाई सभा’ और प्रार्थना स्थल को सील कर दिया गया। जांच में खुलासा हुआ कि पिछले दो वर्षों से सक्रिय यह गिरोह गरीबों, दलितों और अनुसूचित जाति के लोगों को आर्थिक सहायता, राशन व चिकित्सा सुविधाओं का लालच देकर उनका ब्रेनवॉश करता था। अनुमान है कि इस गिरोह ने 500 से अधिक लोगों का धर्मांतरण कराया, हालांकि कुछ रिपोर्ट्स में संख्या 50 से अधिक बताई गई है।
गिरोह का modus operandi: इलाज के नाम पर धोखा
पुलिस के अनुसार, आरोपी मलखान (43 वर्षीय निवासी बकतौरी खेड़ा) ने अपने खेत पर एक हॉल जैसी संरचना बनाई थी, जिसे वह अस्थायी चर्च के रूप में इस्तेमाल करता था। हर बृहस्पतिवार और रविवार को ‘यीशु चंगाई सभा’ के नाम से आयोजन होते थे, जहां गठिया, मिर्गी, सांस की बीमारियां जैसी गंभीर समस्याओं को ‘चमत्कार’ से ठीक करने का दावा किया जाता था। सभाओं में बाइबिल पढ़ी जाती, प्रार्थनाएं की जातीं और भोजन का प्रबंध किया जाता, जिस पर प्रति सभा 5-6 हजार रुपये खर्च होते।
सूत्रों का कहना है कि मलखान ने खुद 2016 (कुछ रिपोर्ट्स में 10 साल पहले) में ईसाई धर्म अपनाया और अपना नाम मैथ्यू रख लिया। उसके परिवार के सदस्यों के नाम भी बदल दिए गए। वह व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए लोगों को आमंत्रित करता, जहां कम पढ़े-लिखे और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को निशाना बनाया जाता। धर्मांतरण के बाद इन लोगों को आर्थिक मदद दी जाती, लेकिन वे अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ लेते रहे। मोहनलालगंज, नगराम, निगोहां और गोसाईंगंज जैसे इलाके इस रैकेट के प्रमुख केंद्र थे।
पुलिस कार्रवाई: शिकायत पर छापेमारी
यह कार्रवाई बजरंग दल के कार्यकर्ता धर्मेंद्र शर्मा की शिकायत पर 28 सितंबर को शुरू हुई। निगोहां इंस्पेक्टर अनुज तिवारी और एसीपी रजनीश वर्मा की टीम ने छापा मारा। पूछताछ में मलखान ने कबूल किया कि वह पिछले दो साल से सक्रिय था। डीसीपी (साउथ) निपुण अग्रवाल ने बताया कि स्थानीय स्तर पर लंबे समय से शिकायतें आ रही थीं। गिरफ्तारी के बाद मलखान के बैंक खातों की जांच शुरू हो गई है, क्योंकि शक है कि रैकेट को विदेशी फंडिंग मिल रही थी।
पुलिस ने आरोपी को धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, धोखाधड़ी और अवैध धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार किया। जांच टीम को 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है। अब पुलिस अन्य संदिग्धों की तलाश में जुटी है और धर्मांतरण का शिकार बने लोगों से पूछताछ कर रही।
व्यापक चिंता: लखनऊ में 30 साल पुराना खेल
यह मामला लखनऊ में धर्मांतरण की बढ़ती घटनाओं की याद दिलाता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोहनलालगंज क्षेत्र में पिछले तीन दशकों से इसी तरह का खेल चल रहा है। जुलाई 2025 में ही लव जिहाद और पैसों के लालच में मुस्लिम बने 15 लोगों का शुद्धीकरण कराया गया था। विश्व हिंदू रक्षा परिषद ने विदेशी फंडिंग पर जांच की मांग की है। विशेषज्ञों का मानना है कि गरीबी और अशिक्षा ऐसे रैकेट्स को पनपने का मौका देती है।
प्रभावित परिवारों की आवाज
स्थानीय निवासियों ने बताया कि मलखान पहले एक साधारण किसान था, लेकिन धर्मांतरण के बाद उसके जीवन में अचानक बदलाव आया। एक प्रभावित परिवार ने कहा, “हम बीमारी के डर से फंस गए, लेकिन अब सच्चाई सामने आ रही है।” पुलिस ने प्रभावितों को काउंसलिंग का आश्वासन दिया है।
यह घटना उत्तर प्रदेश में सख्त धर्मांतरण विरोधी कानूनों की प्रासंगिकता को रेखांकित करती है। आगे की जांच में और खुलासे होने की संभावना है।
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