झांसी: उत्तर प्रदेश के झांसी मेडिकल कॉलेज में महिलाओं और नवजातों की स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने के लिए बनी करोड़ों रुपये की आधुनिक बिल्डिंगें महीनों से हैंडओवर के बाद भी चालू नहीं हो पाई हैं। झांसी डेवलपमेंट अथॉरिटी (जेडीए) द्वारा साढ़े चार करोड़ रुपये की लागत से तैयार स्मार्ट लेबर रूम और IVF सेंटर में मेडिकल उपकरणों की व्यवस्था से पहले बुनियादी सुविधाएं जैसे बिजली, पानी और ऑक्सीजन लाइन तक नहीं जुड़ सकी हैं। जिम्मेदारों ने विभागाध्यक्ष के बदलाव को मुख्य कारण बताया है, जिससे शासन की महत्वाकांक्षी योजना पर सवाल खड़े हो गए हैं।
निर्माण और हैंडओवर की प्रक्रिया: मेडिकल कॉलेज प्रशासन की मांग पर जेडीए उपाध्यक्ष आलोक यादव ने स्मार्ट टीबी सेंटर, स्मार्ट लेबर रूम और IVF सेंटर की बिल्डिंगें बनवाईं। ये सुविधाएं ग्रामीण महिलाओं को बेहतर प्रसव और बांझपन उपचार प्रदान करने के उद्देश्य से तैयार की गई थीं। तीन माह पहले स्मार्ट टीबी सेंटर को सफलतापूर्वक चालू कर दिया गया, लेकिन स्मार्ट लेबर रूम और IVF सेंटर अभी भी बंद पड़े हैं। तत्कालीन विभागाध्यक्ष डॉ. हेमा जे. शोभने ने सभी व्यवस्थाएं पूरी कर जून तक इन्हें चालू करने का दावा किया था, जिसमें सेक्शन मशीन, ऑक्सीजन लाइन और अन्य उपकरण शामिल थे। लेकिन, अब तक कोई प्रगति नहीं हुई।
विभागाध्यक्ष बदलाव से रुकावट: करीब ढाई-तीन माह पहले डॉ. सिप्पी अग्रवाल को नया विभागाध्यक्ष नियुक्त किया गया। सूत्रों के अनुसार, उनके आने के बाद चल रही सभी तैयारियां रुक गईं। बिल्डिंगों में बिजली, पानी और गैस कनेक्शन जैसी बेसिक जरूरतें पूरी नहीं हुईं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्रशासनिक बदलाव से फाइलें अटक गई हैं, और नई प्राथमिकताओं के कारण परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इससे न केवल सरकारी धन की बर्बादी हो रही है, बल्कि झांसी जैसे शहर में बढ़ती प्रसव जटिलताओं और बांझपन समस्याओं से जूझ रही महिलाओं को आधुनिक सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। फिलहाल, इन सेंटरों के चालू होने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही।
विभागाध्यक्ष का बयान: जब विभागाध्यक्ष डॉ. सिप्पी अग्रवाल से इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “स्मार्ट लेबर रूम और IVF सेंटर के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। पता करने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।” उनका यह जवाब आश्चर्यजनक है, क्योंकि ये सुविधाएं कॉलेज के अंतर्गत ही आती हैं। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने अभी तक कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण जारी नहीं किया है, जबकि जेडीए ने हैंडओवर के बाद जिम्मेदारी कॉलेज पर डाल दी है।
यह मामला झांसी मेडिकल कॉलेज की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है, जहां पहले भी उपकरणों की कमी और रखरखाव की शिकायतें सामने आती रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी परियोजनाओं के लिए समयबद्ध योजना, समन्वय और जवाबदेही जरूरी है। स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और महिला संगठनों ने मांग की है कि उच्च स्तर पर हस्तक्षेप होकर इन सुविधाओं को तत्काल चालू किया जाए, ताकि मरीजों को फायदा पहुंचे। अपडेट्स के लिए बने रहें।
- रिपोर्ट – नेहा श्रीवास