- फतेहाबाद में दर्जनों अवैध आरओ प्लांट संचालित।
- बिना लाइसेंस और गुणवत्ता मानकों के चल रहा धंधा।
- मिनरल वाटर के नाम पर दूषित पानी की खुलेआम बिक्री।
- खाद्य सुरक्षा विभाग की गंभीर लापरवाही उजागर।
- जनता में जलजनित बीमारियों का खतरा बढ़ा।
- प्रशासन पूरी तरह बेपरवाह, कोई सख्त कार्रवाई नहीं।
• खाद्य सुरक्षा विभाग की लापरवाही बनी आमजन के स्वास्थ्य के लिए खतरा, बिना जांच के धड़ल्ले से बिक रहा घटिया आरओ पानी।
रिपोर्ट 🔹 सुशील गुप्ता
फतेहाबाद/आगरा। कस्बा फतेहाबाद में इस समय “मिनरल वाटर” के नाम पर खुलेआम जनता की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है। बिना लाइसेंस और मानक गुणवत्ता के दर्जनों आरओ प्लांट चल रहे हैं, जो शुद्ध जल के नाम पर दूषित व घटिया पानी बोतलों में भरकर बेच रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि इस पर न तो खाद्य सुरक्षा विभाग की नज़र है और न ही स्थानीय प्रशासन की कोई रुचि।
सूत्रों की मानें तो इन प्लांट संचालकों को न पानी की गुणवत्ता की जानकारी है, न किसी तरह की टेस्टिंग होती है और न ही कोई तय मानकों का पालन। बस पानी को ठंडा किया जाता है और फिर बोतलों में भरकर बाज़ार में उतार दिया जाता है। ऐसे में गर्मी के मौसम में प्यास बुझाने की बजाय लोग बीमारियां खरीद रहे हैं।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इन प्लांट्स की न तो नियमित जांच होती है और न ही किसी तरह की जवाबदेही तय है। खाद्य सुरक्षा विभाग की निष्क्रियता से इन संचालकों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वो बेखौफ बिना किसी डर के धंधा चला रहे हैं।
“ये व्यापार नहीं, धीमा ज़हर है जो हमारे घरों तक पहुंचाया जा रहा है,” एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा।
गौरतलब है कि कस्बे और ग्रामीण क्षेत्रों में पहले ही स्वच्छ जल की समस्या गंभीर है। ऐसे में आरओ प्लांट्स द्वारा जहरीला पानी बेचना जनता को जानबूझकर मौत की ओर धकेलने जैसा है।
अब सवाल यह है कि – क्या प्रशासन की नींद तब खुलेगी जब कोई बड़ा हादसा हो जाएगा? या फिर स्वास्थ्य की कीमत पर चलता रहेगा यह खामोश कारोबार?
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