आगरा: आगरा के बाह क्षेत्र में पांच साल की मासूम के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के मामले में विशेष पॉक्सो कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। विशेष न्यायाधीश (एडीजे-27) सोनिका चौधरी की अदालत ने दोषी अमित और निखिल को फांसी की सजा सुनाई। कोर्ट ने इस जघन्य अपराध को “समाज की आत्मा को झकझोर देने वाला” करार देते हुए कहा कि ऐसे अपराधियों के लिए मृत्युदंड ही एकमात्र उचित सजा है।
घटना का विवरण
18 मार्च 2024 को बाह थाना क्षेत्र के फरैरा गांव में यह दिल दहला देने वाली घटना हुई। पीड़िता, एक पांच वर्षीय बच्ची, अपने घर के पास नहर किनारे खेल रही थी। उसी दौरान गांव के ही अमित और निखिल बाइक पर सवार होकर आए और बच्ची को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गए। जब बच्ची काफी देर तक घर नहीं लौटी, तो परिजनों ने उसकी खोज शुरू की और थाने में अपहरण की शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस जांच में सामने आया कि दोनों आरोपियों ने मासूम के साथ दुष्कर्म किया, उसकी हत्या कर दी और शव को सरसों के खेत में दबा दिया। इतना ही नहीं, आरोपियों ने पीड़िता के पिता को फोन कर छह लाख रुपये की फिरौती भी मांगी। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए शव को बरामद किया और दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा।
कानूनी प्रक्रिया
आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 363 (अपहरण), 364ए (फिरौती के लिए अपहरण), 302 (हत्या), 201 (साक्ष्य मिटाने), 376डीबी (सामूहिक दुष्कर्म), 377 (अप्राकृतिक यौनाचार) और पॉक्सो एक्ट की धारा 5/6 के तहत चार्जशीट दाखिल की गई। मामले की सुनवाई एडीजे-27 सोनिका चौधरी की कोर्ट में हुई। अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी सुभाष गिरि ने पैरवी की और 18 गवाहों के बयान दर्ज कराए। साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर कोर्ट ने दोनों आरोपियों को दोषी ठहराया।
कोर्ट का फैसला
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “यह अपराध न केवल पीड़ित परिवार, बल्कि पूरे समाज के लिए भयावह है। ऐसे अपराधियों के प्रति नरमी दिखाना न्याय के साथ अन्याय होगा।” इस आधार पर दोनों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई।
कोर्ट रूम का माहौल
सजा सुनाए जाने के दौरान कोर्ट रूम में सन्नाटा छाया रहा। जैसे ही जज ने फांसी का फैसला सुनाया, दोनों दोषियों के चेहरों पर डर साफ दिखाई दिया। उनके परिजन फफक-फफक कर रोने लगे, जबकि पीड़ित परिवार की आंखों में खुशी के आंसू थे। कोर्ट में मौजूद लोग इस फैसले को “न्याय की जीत” बता रहे थे।
अभियोजन का बयान
एडीजीसी सुभाष गिरि ने कहा, “यह फैसला न्याय व्यवस्था में जनता का विश्वास और मजबूत करेगा। अभियोजन पक्ष ने साक्ष्यों और गवाहों के जरिए यह साबित किया कि दोनों आरोपियों ने अक्षम्य अपराध किया था।”