किरावली/आगरा। आगरा की किरावली तहसील का छोटा-सा गांव बाकन्दा रविवार को उस समय सुर्खियों में छा गया, जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, मध्य प्रदेश विधानसभा स्पीकर नरेंद्र सिंह तोमर, अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाखन सिंह सहित कई दिग्गज नेताओं का काफिला गांव में पहुंचा।
यह जमावड़ा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख प्रचारक ओम प्रकाश उर्फ ओमी सिसौदिया के पिता ठाकुर जनक सिंह सिसौदिया (उम्र 92 वर्ष) के निधन पर शोक संवेदना प्रकट करने के लिए था। नेताओं के इस आगमन ने ग्रामीणों को आश्चर्यचकित कर दिया, और वे अपने गांव के ‘ओमी’ के राष्ट्रीय स्तर पर बड़े चेहरे बनने पर गर्व से भर उठे।
ओमी सिसौदिया: गांव से राष्ट्रीय स्तर तक का सफर
ग्रामीणों के अनुसार, करीब 36 साल पहले बाकन्दा गांव से निकले ओम प्रकाश सिसौदिया आज मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में आरएसएस के प्रमुख प्रचारकों में शुमार हैं। उनके पिता ठाकुर जनक सिंह सिसौदिया के निधन के बाद रविवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री व मध्य प्रदेश विधानसभा स्पीकर नरेंद्र सिंह तोमर, सांसद शिव मंगल सिंह, आगरा के पूर्व मंत्री रामबाबू हरित, पूर्व मेयर इन्द्रजीत आर्य, पूर्व विधायक किशन गोपाल सहित कई वरिष्ठ नेता गांव पहुंचे। नेताओं ने शोकाकुल परिवार को ढाढस बंधाया और संवेदनाएं व्यक्त कीं।
ग्रामीणों में गर्व और नाराजगी का मिश्रित माहौल
गांव में इतने बड़े नेताओं का आगमन पहली बार देखने को मिला। ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें केवल इतना पता था कि ओमी आरएसएस से जुड़े हैं, लेकिन यह नहीं मालूम था कि वे इतने प्रभावशाली व्यक्तित्व बन चुके हैं। ग्रामीणों के चेहरों पर ओमी के प्रति गर्व और खुशी साफ झलक रही थी। हालांकि, गांव की बदहाल व्यवस्था, जैसे जलभराव, गंदगी और पेयजल की समस्या, को लेकर नाराजगी भी सामने आई। ग्रामीणों का कहना था कि यदि ओमी अपनी पहुंच का उपयोग करते, तो बाकन्दा गांव का कायाकल्प हो सकता था।
ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
पूर्व प्रधान हरिओम सिंह सिसौदिया, महेंद्र सिंह सिसौदिया एडवोकेट, लाखन सिंह, प्रेम सिंह, भगवान सिंह, प्रताप सिंह और महेश चंद्र सहित कई ग्रामीणों ने कहा कि इतने बड़े नेताओं का गांव में आना ऐतिहासिक घटना है। इस दौरान गांव का माहौल भावुक होने के साथ-साथ उत्साह से भरा रहा। ग्रामीणों ने ओमी के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
बाकन्दा गांव में नेताओं का यह जमावड़ा न केवल ओमी सिसौदिया के प्रभाव को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि छोटे से गांव का एक व्यक्ति राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना सकता है। यह घटना ग्रामीणों के लिए गर्व का क्षण थी, लेकिन साथ ही गांव की समस्याओं को लेकर उनकी आवाज को और बुलंद करने की जरूरत को भी रेखांकित करती है।