आगरा। नारकोटिक्स श्रेणी की दवाओं के अवैध भंडारण और ग़ैरक़ानूनी बिक्री के खिलाफ प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। जांच में कई गंभीर अनियमितताएं सामने आने के बाद 19 दवा फर्मों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई उन स्टॉकिस्ट्स और वितरकों पर केंद्रित है जो बिना वैध लाइसेंस या निर्धारित नियमों का पालन किए नारकोटिक कैटेगरी की दवाओं का व्यापार कर रहे थे।
जिन जिलों की फर्में जांच के घेरे में आई हैं, उनमें वाराणसी, सुल्तानपुर, भदोही और प्रयागराज शामिल हैं। टीमों ने छापेमारी के दौरान रिकॉर्ड, स्टॉक, ट्रांसपोर्टेशन और बिक्री संबंधी दस्तावेजों की जांच की, जिनमें भारी गड़बड़ियां पकड़ी गईं।
मुख्य आरोपी फर्म और संचालक
राधिका इंटरप्राइजेज (संचालक: प्रशांत)
अवैध रूप से नियंत्रित दवाओं के स्टॉक और वितरण के आरोप में केस दर्ज।
मेड रेमेडी (आकाश पाठक)
बिना उचित अनुमति नारकोटिक दवाओं की खरीद-बिक्री के आरोप, FIR दर्ज।
श्री हरि फार्मा (अमित जायसवाल)
नारकोटिक ड्रग्स के गलत स्टॉक और दस्तावेजी खामियों के चलते कार्रवाई।
जांच के आधार पर यह भी सामने आया कि कई फर्में दवाओं की खरीद-बिक्री के लेनदेन को जरूरी रजिस्टरों में दर्ज नहीं करती थीं, जो ड्रग ऐक्ट के स्पष्ट उल्लंघन की श्रेणी में आता है।
लाइसेंस निरस्त करने के निर्देश
स्वास्थ्य विभाग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी दोषी कंपनियों के ड्रग लाइसेंस निरस्त करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। विभागीय जांच लगातार जारी है और अन्य संबंधित सप्लाई चैन की भी जांच की जा रही है।
अधिकारियों का कहना है कि नारकोटिक दवाओं की अवैध बिक्री अपराध को बढ़ावा देती है, इसलिए किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मामले की निगरानी वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की जा रही है और आगे और फर्मों पर कार्रवाई की संभावना भी जताई जा रही है।





