फिरोजाबाद: उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के थाना मक्खनपुर क्षेत्र में 30 सितंबर को गुजरात की वित्तीय प्रबंधन कंपनी जीके के कर्मचारियों से हुई 2 करोड़ रुपये की सनसनीखेज लूट के मामले में अब पुलिस विभाग के दो सिपाहियों की संलिप्तता सामने आई है। आगरा में तैनात ये दोनों सिपाही न केवल लूट की योजना में शामिल थे, बल्कि बदमाशों से मिलकर पुलिस की गतिविधियों की जानकारी भी देते रहे। एसएसपी सौरभ दीक्षित के नेतृत्व में पुलिस ने मंगलवार को एक सिपाही को गिरफ्तार कर लिया, जबकि दूसरे ने सरेंडर कर दिया। इस घटना ने न केवल अपराधियों के गिरोह को बल्कि पुलिस की आंतरिक विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
गिरफ्तार सिपाही: शहीद पिता का बेटा, अपराधियों का साथी
गिरफ्तार मुख्य आरक्षी अंकुर प्रताप सिंह आगरा जीआरपी थाने में तैनात है और मूल रूप से अलीगढ़ के हरदुआगंज थाना क्षेत्र के खैर आलमपुर का निवासी है। उसके पिता गिरीश पाल सिंह आगरा में एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) में तैनात थे और वर्ष 2000 के आसपास बदमाशों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। उस समय अंकुर नाबालिग था। 2011 में पिता की शहादत के बदले मृतक आश्रित कोटे से उसे सिपाही की नौकरी मिली थी। पिता ने जहां अपराध के खात्मे के लिए अपनी जान कुर्बान की, वहीं बेटे ने अपराधियों से हाथ मिलाकर खाकी वर्दी पर कलंक लगा दिया।
पुलिस ने अंकुर को आगरा के रूपसपुर स्थित श्याम फैमिली ढाबा के पास से गिरफ्तार किया। उसके कब्जे से लूट की हिस्सेदारी के रूप में लिए गए 5 लाख रुपये बरामद हुए हैं। पूछताछ में पता चला कि डेढ़ माह पहले ही वह थाना ट्रांस यमुना से रिलीव होकर जीआरपी में गया था।
सरेंडर करने वाला सिपाही: निलंबन का पुराना इतिहास
दूसरा सिपाही मनोज कुमार आगरा पुलिस लाइन में तैनात है और फिरोजाबाद के मक्खनपुर क्षेत्र में रहता है। उसके पिता भी पुलिस विभाग में थे और मूल रूप से औरैया के निवासी हैं। पिता की फिरोजाबाद में तैनाती के दौरान परिवार ने यहीं मकान बना लिया था। मनोज पहले थाने की एसओजी में तैनात था, लेकिन एक महीने पहले एक महिला के छत से गिरने के मामले में निलंबित हो चुका था। बहाली के बाद उसे पुलिस लाइन में पोस्टिंग मिली।
गिरफ्तारी की भनक लगते ही मनोज मंगलवार दोपहर फरार हो गया। पुलिस की कई टीमें उसके घर और रिश्तेदारों के ठिकानों पर छापेमारी करती रहीं, लेकिन शाम को खबर आई कि उसने सरेंडर कर दिया। देर रात शिकोहाबाद थाने पहुंचकर मनोज ने आत्मसमर्पण किया और बदमाशों से लिए गए 5-5 लाख रुपये की रकम पुलिस को सौंप दी।
कैसे जुड़े सिपाही अपराधियों से? साइबर अपराधी मोनू की भूमिका
लूट के मास्टरमाइंड दुर्दांत बदमाश नरेश उर्फ पंकज पंडित (निवासी अरनी, खैर, अलीगढ़) के गिरोह में शामिल मोनू उर्फ मिलाप (निवासी गढ़बढ़ जैतपुर, आगरा) ने ही सिपाहियों को लूट की योजना में शामिल किया। मोनू साइबर अपराधों में वांछित था और थाना ट्रांस यमुना में तैनाती के दौरान मनोज ने उसे जेल भेजने में भूमिका निभाई थी। तभी से दोनों के संपर्क में आ गए। जेल से छूटने के बाद मोनू और सिपाहियों के बीच अय्याशी का सिलसिला शुरू हो गया।
नरेश ने जब मोनू को 2 करोड़ की लूट की योजना बताई, तो मोनू ने सुझाव दिया कि पुलिस के किसी व्यक्ति को शामिल किया जाए ताकि वारदात के बाद पुलिस की हर गतिविधि की जानकारी मिल सके। डेढ़ माह पहले आगरा में सिपाहियों के किराए के कमरे पर नरेश ने अंकुर और मनोज से मुलाकात की। लूट की पूरी प्लानिंग बताई गई। तय हुआ कि सिपाही मदद करेंगे और लूट के बाद पुलिस की जानकारी देंगे।
30 सितंबर को लूट के बाद सिपाहियों ने बदमाशों से नई दिल्ली में मुलाकात की और प्रत्येक को 5-5 लाख रुपये मदद के एवज में ले लिए। एनकाउंटर से पहले पूछताछ में नरेश और मोनू ने ही सिपाहियों के नाम लिए थे।
पुलिस की पुख्ता जांच: मोबाइल डेटा और सीसीटीवी से खुलासा
मोनू के बयानों पर शुरुआत में पुलिस को भरोसा नहीं हुआ, इसलिए एसएसपी के निर्देश पर मोबाइल सीडीआर, लोकेशन ट्रैकिंग, सीसीटीवी फुटेज और सहकर्मियों से पूछताछ की गई। इससे साबित हो गया कि वारदात वाले दिन और उसके बाद सिपाहियों की बदमाशों से बातचीत हुई। 30 सितंबर को उनकी लोकेशन नई दिल्ली भी मिली। दोनों सिपाही एक ही किराए के कमरे में साथ रहते थे, जहां आसपास के लोगों से भी जानकारी ली गई।
लूट कांड की पूरी टाइमलाइन: एनकाउंटर से सरेंडर तक
- 30 सितंबर: सुबह 5 बजे मक्खनपुर क्षेत्र के बाईपास पर कानपुर से आगरा जा रही कैश वैन पर हमला। लुटेरों ने ड्राइवर को पीटा, बांधा और 2 करोड़ रुपये लूट लिए।
- 4 अक्टूबर: पुलिस ने 6 शातिर लुटेरों को गिरफ्तार किया। कब्जे से 1 करोड़ 5 हजार 310 रुपये, एक आईफोन और अवैध हथियार बरामद।
- 5 अक्टूबर: मुख्य बदमाश नरेश हथकड़ी सहित फरार। डीआईजी आगरा रेंज ने 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया। रात में मुठभेड़ में नरेश घायल, बाद में मृत घोषित।
- 6 अक्टूबर: नरेश के शव का पोस्टमार्टम।
- 7 अक्टूबर: सिपाही अंकुर प्रताप सिंह गिरफ्तार (5 लाख रुपये बरामद)। मनोज कुमार ने सरेंडर किया (5 लाख रुपये सौंपे)।
एसएसपी सौरभ दीक्षित ने बताया कि जांच जारी है और बाकी लूटी गई रकम की बरामदगी के प्रयास हो रहे हैं। इस मामले ने पुलिस सुधार की मांग को और तेज कर दिया है।