जालौन: उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां 1995 में हुई एक हत्या के मामले में 30 साल बाद पुलिस ने 7 आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज की है। हाईकोर्ट और निचली अदालत के लगातार हस्तक्षेप के बाद यह कार्रवाई हुई है। मृतक युवक प्रदीप के पिता न्याय की आस में दम तोड़ चुके हैं, और अब उनके छोटे भाई ने आरोपियों को सजा दिलाने के लिए लड़ाई को आगे बढ़ाया है।
अक्टूबर 1995 में जालौन के एक मोहल्ले में प्रदीप नामक युवक की हत्या कर दी गई थी। आरोपी मोहल्ले के ही रहने वाले लोग थे, जिन्होंने कथित तौर पर प्रदीप पर हमला किया। पीड़ित परिवार ने तत्कालीन समय में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। मृतक के पिता ने वर्षों तक अदालतों के चक्कर लगाए, लेकिन बिना FIR के कोई प्रगति नहीं हुई। अंततः, पिता की मृत्यु हो गई, और अब छोटा भाई इस मामले को सुलझाने के लिए प्रयासरत है।
हाईकोर्ट के आदेश पर निचली अदालत ने हाल ही में FIR दर्ज करने का निर्देश दिया, जिसके बाद जालौन पुलिस ने 7 नामजद आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया। पुलिस ने बताया कि जांच शुरू हो चुकी है, और आरोपियों की तलाश की जा रही है।
परिवार की पीड़ा और न्याय की लड़ाई
मृतक प्रदीप के छोटे भाई ने बताया, “हमारे पिता ने अपनी पूरी जिंदगी इस न्याय के लिए संघर्ष किया, लेकिन उन्हें इंसाफ नहीं मिला। अब मैं उनके सपने को पूरा करने के लिए लड़ रहा हूं। 30 साल का इंतजार बहुत लंबा है, लेकिन आखिरकार न्याय की किरण दिखाई दे रही है।” परिवार ने आरोप लगाया कि स्थानीय प्रभावशाली लोगों के कारण पहले FIR नहीं हुई थी।
यह मामला उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे पुराने मामलों में देरी से न्याय प्रक्रिया प्रभावित होती है, और गवाहों की कमी के कारण दोष सिद्धि मुश्किल हो जाती है।
कानूनी प्रक्रिया और आगे की कार्रवाई
FIR दर्ज होने के बाद, पुलिस को अब 90 दिनों के अंदर चार्जशीट दाखिल करनी होगी। यदि आरोपी अभी भी जीवित हैं, तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। जालौन के एसपी ने कहा, “हम कोर्ट के आदेशों का पालन कर रहे हैं और मामले की गहन जांच कर रहे हैं। न्याय सुनिश्चित किया जाएगा।”
सामाजिक प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर इस मामले को लेकर लोगों ने पुलिस की आलोचना की है। #JusticeDelayedIsJusticeDenied और #UPPolice जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “30 साल बाद FIR? यह न्याय व्यवस्था पर कलंक है। ऐसे मामलों में तत्काल कार्रवाई जरूरी है।”
यह घटना न केवल एक परिवार की पीड़ा को दर्शाती है, बल्कि पुराने लंबित मामलों को निपटाने की आवश्यकता पर भी जोर देती है। उत्तर प्रदेश सरकार को ऐसे केसों के लिए विशेष टास्क फोर्स गठित करने पर विचार करना चाहिए, ताकि न्याय में देरी न हो।