आगरा: आगरा के थाना कोतवाली में नकली दवा प्रकरण में एक और मुकदमा दर्ज किया गया है। इस मामले में पिता मुकेश बंसल, उनके भाई संजय बंसल और बेटे सोहित बंसल को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस तीनों आरोपियों से पूछताछ कर रही है, जिन पर करोड़ों रुपये की नकली दवाओं की सप्लाई का आरोप है।

खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) की ओर से दर्ज कराए गए मुकदमे में नामनेर निवासी मुकेश बंसल, संजय बंसल और सोहित बंसल को हिरासत में लिया गया है। पुलिस के अनुसार, ये तीनों नकली दवाओं के अवैध कारोबार में लिप्त थे। इस प्रकरण में अब तक चार मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। इससे पहले हे मां मेडिकल एजेंसी के संचालक हिमांशु अग्रवाल को जेल भेजा जा चुका है।

नकली दवा माफिया का जाल

एफएसडीए की एडिशनल कमिश्नर रेखा एस चौहान ने बताया कि जांच में पता चला है कि डमी फर्मों के जरिए कई राज्यों में नकली दवाओं का काला कारोबार चल रहा था। इस सिलसिले में पुडुचेरी और तमिलनाडु में नकली दवाएं बनाने वाली फैक्ट्रियों को चिह्नित किया गया है। इसके अलावा, लखनऊ की दो फर्मों—बाबा फार्मा और पार्वती ट्रेडर्स—के संचालकों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है, जो अभी फरार हैं। पुलिस उनकी तलाश में जुटी है।

गोदामों और लाइसेंस की जांच

रेखा एस चौहान ने कहा कि दवा माफिया के कई गोदाम होने की आशंका है, जिनकी खोजबीन की जा रही है। साथ ही, लाइसेंस जारी करने वाले अधिकारियों की भूमिका की भी जांच हो रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि लाइसेंस जारी करते समय नियमों का पालन हुआ या नहीं। कई मेडिकल स्टोर भी जांच के दायरे में हैं, और संदिग्ध दवाओं के नमूने प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए भेजे गए हैं।

व्यापक नेटवर्क और कार्रवाई

जांच में खुलासा हुआ है कि नकली दवाएं 12 राज्यों और नेपाल तक सप्लाई की जा रही थीं। जब्त की गई दवाओं में जायडस, ग्लेनमार्क, सन फार्मा और सैनोफी जैसे ब्रांडों की नकली दवाएं शामिल हैं। इस कारोबार में फर्जी बिल और क्यूआर कोड का इस्तेमाल किया जा रहा था। विशेष कार्य बल (एसटीएफ) और औषधि विभाग ने अब तक 17 लोगों को जेल भेजा है, और आगे भी कार्रवाई जारी रहेगी।

जनस्वास्थ्य पर खतरा

यह मामला न केवल आगरा, बल्कि पूरे देश में नकली दवाओं के खतरे को उजागर करता है। नकली दवाएं मरीजों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा हैं और इनके चलते फार्मास्युटिकल आपूर्ति श्रृंखला पर भरोसा कम हो रहा है। अधिकारियों ने सख्त निगरानी, डिजिटल क्यूआर कोड और गोदामों की ऑडिटिंग जैसे कदमों पर जोर दिया है ताकि इस माफिया पर अंकुश लगाया जा सके।

आगरा पुलिस और एसटीएफ इस मामले में गहन जांच कर रही है, और जल्द ही और गिरफ्तारियां होने की संभावना है। जनता से अपील की गई है कि वे दवाएं केवल अधिकृत मेडिकल स्टोर से ही खरीदें और संदिग्ध दवाओं की जानकारी तुरंत प्रशासन को दें।

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