फतेहाबाद/आगरा: दीपों के त्योहार दीपावली पर कस्बा के बाजरो की तस्वीर बदल गई पहले बाजारों में जहां पी ओ पी और चीन में बनी रंगीन मूर्तियां का सबसे अधिक बोल वाला था अब उनकी जगह पर्यावरण अनुकूल सामग्री और मिट्टी से बनी मूर्तियां ने ले ली है अब लोग मिट्टी से बनी लक्ष्मी गणेश सरस्वती आदि मूर्तियां मिट्टी से बने दीपक की खरीदारी को प्राथमिकता दे रहे हैं।

अगर देखा जाए तो इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेक इंडिया और वह कल वोकल फार लोकल जैसे अभियान ने भी स्वदेशी उत्पादो को नई पहचान देकर मिट्टी के कारीगरों की स्थिति को सशक्त बनाने का काम किया है यही कारण है कि कुछ वर्ष पूर्व तक प्रजापति समाज के लोग अपना परंपरागत काम छोड़कर अन्य रोजगार के विकलप को तलाशने को मजबूर हो गए वह अब अपने अपने पुराने काम को संभाल रहे हैं जब से लोगों में धार्मिक आयोजनों को भव्यता से मनाने की शुरुआत हुई है।

उसके बाद से दीपों का पांच दिवसी दीपावली त्यौहार पर मिट्टी से बनी मूर्तियों की मांग में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है साथ ही पर्यावरण संरक्षण को लेकर लोगों में गंभीरता आने से मिट्टी के कारीगरों का हुनर अब फिर जीवत हो पठा है लोग प्लास्टर ऑफ पेरिस पी ओं पी और रासायनिक के रंगों से बनी मूर्तियों को पसंद नहीं कर रहे हैं

क्योंकि वह न पर्यावरण के लिए ठीक है ना ही लोगों के स्वास्थ्य के लिए इनके हानिकारक प्रभाव को देखते हुए लोग अब जैविक और पर्यावरण मित्र सामग्री से बनी मिट्टी की मूर्तियों को पसंद कर अपना रहे हैं कस्बा के बाजार में मिट्टी के दीपक और मिट्टी से बने लक्ष्मी गणेश आदि की मूर्तियां खरीद रहे हैं लोग जमकर दीपक और मूर्तियों की खरीदारी करते देखे गए यही नहीं लोगों ने खिल और चीनी से बने खिलौने भी  ख़रीदे।

  • रिपोर्ट  सुशील गुप्ता
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