मुरैना/मप्र। जिले की कृषि उपज मंडी में धान खरीदी को लेकर सोमवार को उस समय तनावपूर्ण माहौल बन गया, जब किसानों को उनकी फसल का उचित दाम नहीं मिला। नाराज किसानों ने व्यापारियों पर धांधली और कम भाव लगाने के गंभीर आरोप लगाए, जिससे मंडी परिसर में हंगामा मच गया और मामला हाथापाई तक जा पहुंचा।
आरोप-प्रत्यारोप के बीच झड़प: डंडों से व्यापारियों को भगाया
देखते-देखते किसानों और व्यापारियों के बीच शुरू हुई कहासुनी हिंसक झड़प में बदल गई। गुस्साए किसानों ने डंडे उठाकर व्यापारियों को मंडी से बाहर खदेड़ दिया। घटना की सूचना मिलते ही सिटी कोतवाली पुलिस तत्काल मौके पर पहुंची और किसी बड़े हादसे को टालते हुए हालात पर काबू पाया।
पुलिस ने व्यापारियों को धमकाने के आरोप में एक डंडा लिए हुए किसान को हिरासत में ले लिया। इस गिरफ्तारी से अन्य किसान और भड़क उठे और मंडी परिसर में जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। स्थिति को बेकाबू होते देख एसडीएम भूपेंद्र कुशवाह स्वयं मौके पर पहुंचे। उन्होंने किसानों एवं व्यापारियों से धैर्यपूर्वक बातचीत की और पुलिस को निर्देश दिए कि हिरासत में लिए गए किसान को तुरंत रिहा कर दिया जाए। एसडीएम के हस्तक्षेप से तनाव कुछ हद तक शांत हुआ।
अनियमितता के आरोपों से खरीदी पर ब्रेक: दोनों पक्षों का बहिष्कार
धान खरीदी में कथित अनियमितताओं और उचित मूल्य न मिलने से आक्रोशित किसानों ने अपनी फसल बेचने से स्पष्ट इनकार कर दिया। दूसरी ओर, बढ़ते विवाद और सुरक्षा की चिंता जताते हुए व्यापारी भी मंडी छोड़कर चले गए। नतीजतन, मुरैना कृषि उपज मंडी में धान की खरीदी पूरी तरह ठप हो गई है, जिससे क्षेत्र के सैकड़ों किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
प्रशासन की भूमिका: जांच और समाधान के प्रयास
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, मामले की गहन जांच चल रही है। अधिकारियों का कहना है कि किसानों और व्यापारियों के बीच आपसी सहमति कायम कर जल्द से जल्द समाधान निकाला जाएगा। यह घटना न केवल स्थानीय स्तर पर धान खरीदी की चुनौतियों को उजागर करती है, बल्कि किसानों की लंबे समय से चली आ रही शिकायतों—जैसे कम भाव, धांधली और पारदर्शिता की कमी—को भी रेखांकित करती है।
क्षेत्रीय किसान संगठनों ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए उचित मूल्य सुनिश्चित करने और मंडी व्यवस्था में सुधार की मांग तेज कर दी है। फिलहाल मंडी में सन्नाटा पसरा हुआ है, और सभी की निगाहें प्रशासन के अगले कदम पर टिकी हैं। यह विवाद किसानो की मेहनत और उनकी फसल के मूल्य की लड़ाई का प्रतीक बन गया है।
- रिपोर्ट – मुहम्मद इसरार खान





