हापुड़: ब्रजघाट के पवित्र घाट पर जलती चिताओं की लपटें हमेशा आंसू और विदाई की कहानी बुनती हैं। लेकिन कल रात, गंगा के किनारे एक ऐसी साजिश रची गई जो इंसानियत को कटघरे में खड़ा कर देगी। लालच की आग में जलने वाले अपराधियों ने मौत को ही अपना हथियार बना लिया—एक नौकर की ‘फर्जी मौत’ का ड्रामा रचकर 50 लाख रुपये का इंश्योरेंस लूटने की कोशिश की। लेकिन पुलिस की तीक्ष्ण नजरों ने आखिरी पल में इस खतरनाक खेल को ध्वस्त कर दिया। दो गिरफ्तार, दो फरार—क्या है इस सनसनीखेज साजिश का काला राज?
सस्पेंस भरी शुरुआत: दिल्ली से आया ‘मृतक’ का काफिला
रात के अंधेरे में, दिल्ली की चकाचौंध से निकलकर एक चमकती i20 कार ब्रजघाट की ओर दौड़ी। अंदर चार साये—चुपचाप, बिना किसी शोर के। कार की पिछली सीट पर लिपटा एक ‘शव’—सफेद चादर में ढका, ऐसा लग रहा था जैसे मौत ने अभी-अभी किसी की सांसें थाम ली हों। घाट पर पहुंचते ही वे लोग चुपके से उतरे। लकड़ियां जमा कीं, चिता सजाई, और अग्नि प्रज्वलित करने को तैयार। हवा में तनाव का घेरा—क्या कोई अनजान खतरा सांस ले रहा था? लेकिन घाट पर तैनात पुलिसकर्मियों की नजरें चूकीं नहीं। संदिग्ध हरकतें… कार का नंबर… और वो चादर के नीचे कुछ ‘अजीब’ सा। जांच शुरू हुई, और जो सच सामने आया, वो किसी हॉरर थ्रिलर से कम न था!
‘शव’ कोई इंसान नहीं था—बल्कि एक बेजान पुतला! प्लास्टिक और कपड़ों का बनाया गया नकली लाश, जिसे जलाकर ‘मौत का सबूत’ गढ़ा जा रहा था। दिल दहला देने वाला खुलासा—यह कोई सामान्य अपराध नहीं, बल्कि एक सुनियोजित धोखाधड़ी का जाल था।
लालच का काला चेहरा: नौकर की ‘मौत’ से 50 लाख की लूट
पूछताछ में खुलासा हुआ कि यह साजिश हापुड़ के कुछ धनी व्यापारियों ने रची थी। उनका निशाना? अपना ही नौकर, अंशुल—एक साधारण लड़का जो घर का काम संभालता था। व्यापारियों ने उसके नाम पर 50 लाख रुपये का इंश्योरेंस पॉलिसी लिया, और फिर मौत का फर्जीवाड़ा शुरू। अंशुल को गुमराह कर कागजों में ‘मृत’ घोषित करने का प्लान। ब्रजघाट पर पुतले का अंतिम संस्कार—वो सबूत जो इंश्योरेंस कंपनी को धोखा देगा। लेकिन सवाल उठता है: अंशुल कहां है? क्या वो भी इस साजिश का शिकार है, या भागने में कामयाब? पुलिस की जांच में यह राज अभी भी छिपा है, जो इस केस को और रहस्यमयी बना रहा है।
लालच ने इंसान को शैतान बना दिया। व्यापारियों के लिए 50 लाख की चकाचौंध इतनी भारी थी कि उन्होंने नौकर की जिंदगी को दांव पर लगा दिया। लेकिन क्या यह पहली साजिश है? या इस गिरोह का पुराना इतिहास है, जो अब पुलिस के रडार पर आ गया?
क्लाइमेक्स: पुलिस की तत्परता ने तोड़ा जाल
मौके पर पहुंची कोतवाली गढ़मुक्तेश्वर की टीम ने बिजली की तेजी से कार घेर ली। चीखें, भागमभाग, और कोहराम! दो आरोपी—कमल और आशीष—फंस गए। उनके चेहरे पर पकड़े जाने का खौफ साफ दिखा। लेकिन बाकी दो फरार—कार में छिपे साये, जो अंधेरे में गायब हो गए। पुलिस अब हापुड़ और दिल्ली के रास्तों पर नजरें बिछाए हुए है। सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल लोकेशन—हर क्लू पर छापेमारी जारी।
घटना की धमाकेदार डिटेल्स:
साजिश का मास्टरमाइंड: हापुड़ के व्यापारी, जो नौकर अंशुल के नाम पर 50 लाख का इंश्योरेंस ले चुके थे।
ट्रिक का राज: दिल्ली से i20 कार में पुतला लाकर ब्रजघाट पर ‘अंतिम संस्कार’ का ड्रामा।
गिरफ्तार: कमल और आशीष—पूछताछ में टूटने वाले कड़ी कड़ी।
फरार: दो अज्ञात—पुलिस की सबसे बड़ी चुनौती, क्या वे अगला प्लान रच रहे हैं?
पीड़ित: अंशुल—क्या वो सुरक्षित है, या साजिश का अगला टारगेट?
अंतिम ट्विस्ट: क्या और राज खुलेंगे?
यह केस सिर्फ एक फर्जी मौत का नहीं—यह लालच, विश्वासघात और कानूनी जालसाजी का आईना है। पुलिस कमिश्नर ने कहा, “हम फरारों को जल्द पकड़ लेंगे। इस गिरोह के तार बड़े अपराधों से जुड़े हो सकते हैं।” ब्रजघाट की चिताएं फिर से शांत हो गईं, लेकिन इस साजिश की आग अभी बाकी है। क्या अंशुल की असली कहानी सामने आएगी? या यह सस्पेंस थ्रिलर का अगला अध्याय लिखा जाएगा?

