फतेहाबाद/आगरा: शुक्रवार की रात जब आकाश में चाँद धीरे-धीरे उभरा, तो धरती पर सुहागिनों की आँखों में आस्था की चमक उतर आई। लाल साड़ियों में सजी, मेंहदी से रंगे हाथों वाली महिलाएँ जब छलनी से चाँद का दीदार कर रही थीं, तब ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे भारतीय संस्कृति का जीवंत चित्र स्वयं धरती पर उतर आया हो।
करवा चौथ प्रेम, समर्पण और विश्वास का पर्व,कस्वो और गाँवों में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। सुबह से ही महिलाओं ने रखा यह व्रत रात तक श्रद्धा और प्रतीक्षा का संगम बना रहा। पूरे दिन निर्जला रहकर सुहागिनों ने पति की दीर्घायु और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। शाम को घर-घर में करवा चौथ की कथा सुनने के बाद जब चाँद का इंतज़ार शुरू हुआ, तो हर छत पर उत्सुकता और आनंद का अद्भुत मिश्रण दिखाई दिया।
जैसे ही चाँद ने दर्शन दिए, वातावरण में घुल गई आस्था :
महिलाओं ने करवे से अर्घ्य दिया, पति के हाथों से जल ग्रहण किया और मुस्कान के साथ व्रत खोला। यह क्षण केवल पूजा नहीं था ,यह था प्रेम की निर्मल अभिव्यक्ति और भारतीय नारी के अटूट विश्वास का उत्सव। बाजारों और गलियों में दिखा उत्सव का रंग : त्योहार की रौनक सुबह से ही बाजारों में दिखने लगी थी। साड़ियों, करवों, चूड़ियों और मिठाइयों की दुकानों पर खरीददारों की भीड़ लगी रही। ब्यूटी पार्लरों और मेंहदी लगाने वालों के यहाँ महिलाओं का तांता लगा रहा। शाम ढलते-ढलते पूरा शहर सुगंध और रंगों में नहा गया।
11 साल से करवा चौथ का व्रत रखते आ रहे हैं समाज सेवी राजेश कुशवाहा
करवा चौथ पर सुहागनमहिलाएं अपने पतियोंकी लंबी आयु कोनिर्जलाव्रत रखती हैंवहीं समाजसेवीराजेश कुशवाहाअपनी पत्नीके लिएपिछले10 सालों सेलगातारकरवा चौथ काव्रत रखते आ रहे हैंराजेश कुशवाहा ने11वीं बारभी व्रत रखाउन्होंने चंद्रमा के दर्शन करने के बादजल ग्रहण कियाराजेश कुशवाहाने बताया कि10 साल पूर्वकरवा चौथ के समयमेरी पत्नी कीतबीयत खराब हो गई थीपत्नी कोअस्पताल में भर्ती करना पड़ा थातभी सेअपनी पत्नी के लिएस्वयंकरवा चौथ काव्रत रखते आ रहे हैंउन्होंने बतायासारे दिननिर्जलाव्रत रखने के बाद भीरोजाना की तरहकाम करते हैंकोई भी परेशानी नहीं होती।

महिलाओं ने क्या कहा:
करवा चौथ का हर वर्ष मेरे लिए नया अनुभव होता है। दिनभर की तपस्या के बाद जब चाँद दिखता है, तो लगता है जैसे भगवान ने मेरी हर प्रार्थना सुन ली हो।- रेनू अनवरिया
यह त्योहार सिर्फ पति की लंबी उम्र के लिए नहीं, बल्कि पूरे परिवार के सुख-शांति की कामना का प्रतीक है। यह हमारी संस्कृति का सबसे खूबसूरत अध्याय है।- दीक्षा शर्मा
आधुनिकता के इस दौर में भी जब महिलाएँ इतनी श्रद्धा से व्रत रखती हैं, तो यह हमारे संस्कारों की शक्ति का प्रमाण है। यही तो असली भारत है।- नीलम गुप्ता
करवा चौथ में आस्था और प्रेम दोनों का संगम है। जब पति के हाथों से पहला जल ग्रहण करती हूँ, तो लगता है जैसे सारी थकान मिट गई और दिल में बस शांति रह गई।- नेहा राजपूत
- रिपोर्ट – सुशील गुप्ता