एटा: जिले के लिए ऐतिहासिक खुशखबरी! पूर्वोत्तर रेलवे ने एटा-कासगंज रेल लाइन विस्तार परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण नोटिफिकेशन जारी कर दिया। 16 गांवों की लगभग 112 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहीत की जाएगी। जिला प्रशासन ने शासन से 50 करोड़ रुपये की मांग की है, जो मुआवजा वितरण के लिए होगा। 70 साल से तरसते एटा वासियों का सपना साकार होने को है – लिडार सर्वे पूरा, चिह्नांकन हो चुका। अपर जिलाधिकारी सत्यप्रकाश ने कहा, “2025-26 में किसानों को मुआवजा मिलेगा, फिर निर्माण तेज होगा।”

एटा जिले को रेल कनेक्टिविटी की सौगात मिलने वाली है। 1959 में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा एटा रेलवे स्टेशन का उद्घाटन हुआ था, लेकिन कासगंज तक लाइन विस्तार का सपना अधूरा रहा। पिछले 7 दशकों से स्थानीय जनता, सामाजिक संगठन और जनप्रतिनिधि दिल्ली-लखनऊ तक प्रदर्शन करते रहे। आखिरकार, फरवरी 2025 में केंद्र सरकार ने 29 किमी लंबी इस परियोजना को मंजूरी दी। कुल बजट 389 करोड़ रुपये – जिसमें 329 करोड़ सिविल कार्यों के लिए और शेष इलेक्ट्रिकल व सिग्नलिंग के लिए।

भूमि अधिग्रहण की डिटेल्स: परियोजना के लिए 16 गांवों (जैसे न्योरा, अचलपुर, अत्रांजी खेड़ा, रसूलपुर गढ़ा, नदराई आदि) में 113.32 हेक्टेयर जमीन चिह्नित की गई है। लिडार सर्वे (लेजर-आधारित मैपिंग) पूरा होने के बाद अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू हो रही। पूर्वोत्तर रेलवे के नोटिफिकेशन के अनुसार:

  • कुल लंबाई: 29 किमी (एटा से कासगंज-मथुरा मुख्य लाइन तक कनेक्शन)
  • जमीन: 112-113 हेक्टेयर (कृषि भूमि मुख्य रूप से)
  • मुआवजा: बाजार मूल्य से 4 गुना + अतिरिक्त लाभ (रेलवे नीति के तहत)
  • समयसीमा: आपत्ति निस्तारण के बाद 2025-26 में वितरण

अपर जिलाधिकारी प्रशासन सत्यप्रकाश ने बताया:

“50 करोड़ रुपये शासन को भेजे गए हैं। धनराशि मिलते ही किसानों के खातों में ट्रांसफर होगा। कोई अड़चन नहीं आने देंगे। यह परियोजना एटा को गोरखपुर और आगरा से डायरेक्ट जोड़ेगी।”

70 साल का संघर्ष – मील के पत्थर:

  • 1959: एटा स्टेशन उद्घाटन (डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा)
  • 2000-2010: स्थानीय आंदोलन तेज, मेमोरेंडम भेजे गए
  • 2017-18: बजट में प्रोजेक्ट का जिक्र, DPR तैयार
  • 2024: एटा-आगरा फोर्ट पैसेंजर ट्रेन शुरू
  • फरवरी 2025: 389 करोड़ स्वीकृत, लिडार सर्वे शुरू
  • सितंबर 2025: भूमि चिह्नांकन पूरा
  • नवंबर 2025: अधिग्रहण नोटिफिकेशन

यह लाइन एटा को कासगंज-मथुरा मुख्य रेल मार्ग से जोड़ेगी, जिससे यात्रा समय 2 घंटे से घटकर 1 घंटे हो जाएगा। स्थानीय व्यापारियों और किसानों को फायदा – माल ढुलाई आसान। लेकिन चुनौतियां भी: कुछ किसान मुआवजा रेट पर आपत्ति जता सकते हैं। प्रशासन ने जागरूकता कैंप लगाने का प्लान बनाया।

लाभ – एटा की अर्थव्यवस्था को बूस्ट:

  • रोजगार: निर्माण में 500+ नौकरियां
  • कनेक्टिविटी: गोरखपुर-एटा डायरेक्ट रूट (375 करोड़ अतिरिक्त प्रोजेक्ट से लिंक)
  • पर्यटन: एटा के ऐतिहासिक स्थलों तक आसान पहुंच
  • कृषि: आलू-गेहूं जैसे उत्पादों की तेज मार्केटिंग

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