आगरा: डिजिटल युग में बढ़ते साइबर अपराधों का एक और मामला आगरा कमिश्नरेट के शाहगंज थाना क्षेत्र से सामने आया है। यहां बालाजीपुरम निवासी मुंशी खां साइबर ठगी का शिकार हो गए। उनके बैंक खाते से महज़ दो दिनों के भीतर ₹1.97 लाख की ऑनलाइन ठगी की गई।
पीड़ित मुंशी खां ने बताया कि 28 अक्टूबर 2025 को उन्होंने एक फिलिंग स्टेशन पर ₹2615 का ऑनलाइन भुगतान किया था। भुगतान के तुरंत बाद उनके खाते से संदिग्ध गतिविधियां शुरू हो गईं।
अगले ही दिन यानी 29 अक्टूबर को ₹97,000 और फिर 30 अक्टूबर को ₹1,00,000 की राशि खाते से बिना किसी अनुमति के डेबिट हो गई।
घटना का पता चलते ही पीड़ित ने साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज कराई और बैंक को भी सूचित किया। इसके बाद शाहगंज थाना पुलिस ने अज्ञात साइबर अपराधियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर तकनीकी जांच शुरू कर दी है।
पुलिस जांच के प्रमुख बिंदु
- संभावित कारण: पुलिस का कहना है कि साइबर ठगों ने संभवतः भुगतान के दौरान पीड़ित का डेटा या कार्ड विवरण हैक किया है।
- जांच प्रक्रिया: साइबर सेल अब लेनदेन के डिजिटल ट्रेल और आईपी एड्रेस की जांच में जुटी है ताकि अपराधियों का सुराग लगाया जा सके।
- अपडेट: आज सुबह तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन पुलिस ने पीड़ित से अतिरिक्त बयान दर्ज किए हैं।
साइबर विशेषज्ञों की सलाह
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाएं ऑनलाइन भुगतान करते समय सतर्कता की कमी के कारण बढ़ रही हैं। उन्होंने नागरिकों से आग्रह किया है कि:
- किसी भी भुगतान के दौरान असुरक्षित नेटवर्क या अज्ञात लिंक का उपयोग न करें।
- हमेशा दो-चरणीय सत्यापन (2FA) चालू रखें।
- ठगी का शिकार होने पर तुरंत हेल्पलाइन 1930 पर संपर्क करें या नजदीकी थाने में FIR दर्ज कराएं।
- कार्ड विवरण साझा करने से बचें और UPI पिन कभी शेयर न करें।
हाल के समान मामले (आगरा-उत्तर प्रदेश)
| तारीख | स्थान | राशि | विवरण |
|---|---|---|---|
| 25 अक्टूबर 2025 | मथुरा | ₹2.5 लाख | फर्जी लॉटरी स्कैम से निवासी को नुकसान। |
| 20 अक्टूबर 2025 | लखनऊ | ₹1.2 लाख | व्हाट्सएप पर फर्जी बैंक कॉल से ठगी। |
| 15 अक्टूबर 2025 | कानपुर | ₹80,000 | ऑनलाइन शॉपिंग साइट पर कार्ड डेटा चोरी। |
यह घटना उत्तर प्रदेश में साइबर क्राइम की बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाती है। 2025 में अब तक राज्य में 15,000 से अधिक साइबर ठगी के मामले दर्ज हो चुके हैं, जिसमें से 40% ऑनलाइन भुगतान से जुड़े हैं। अगर आपके साथ भी ऐसा हो, तो देर न करें—तुरंत रिपोर्ट करें!

