ईद मिलादुन्नबी:
आज पूरी दुनिया में ईद मिलादुन्नबी का पवित्र पर्व हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद (स.अ.व.) के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जिनकी पैदाइश 12 रबी-उल-अव्वल को सऊदी अरब के मक्का में हुई थी। मुस्लिम समुदाय इस दिन को मोहब्बत, अकीदत और उनके प्रति सम्मान के साथ याद करता है। पैगंबर को पूरी कायनात के लिए रहमत (कृपा) का प्रतीक माना गया है, और उनकी शिक्षाएं इंसानियत, अमन, भाईचारा और करुणा का संदेश देती हैं।
उत्सव का स्वरूप और परंपराएं
ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर मुस्लिम समुदाय विभिन्न धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों में भाग लेता है। मस्जिदों, घरों और सार्वजनिक स्थानों पर कुरआन पाठ, नात-ए-नबी (पैगंबर की प्रशंसा में भक्ति भजनों का गायन) और उनके जीवन पर आधारित व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं। कई जगहों पर जुलूस निकाले जाते हैं, जिनमें लोग पैगंबर के संदेशों को जीवंत करते हैं। इसके अलावा, इस दिन को सेवा और दान के कार्यों के लिए भी विशेष माना जाता है। लोग जरूरतमंदों की मदद करते हैं, भोजन बांटते हैं और सामुदायिक एकता को बढ़ावा देते हैं।
पैगंबर का संदेश: आज भी प्रासंगिक
हजरत मोहम्मद (स.अ.व.) की शिक्षाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितनी सैकड़ों वर्ष पहले थीं। उनके संदेश में निहित नैतिकता, सहानुभूति और सामाजिक न्याय के सिद्धांत विश्व भर में लोगों को प्रेरित करते हैं। इस दिन को मनाते हुए, लोग न केवल उनकी शिक्षाओं को याद करते हैं, बल्कि अपने जीवन में इन्हें अपनाने का संकल्प भी लेते हैं।
विश्व भर में उत्साह
भारत से लेकर मध्य पूर्व, यूरोप, अमेरिका और अन्य देशों में ईद मिलादुन्नबी का उत्सव अलग-अलग रंगों में देखने को मिलता है। कहीं मस्जिदें रंग-बिरंगी रोशनी से सजाई जाती हैं, तो कहीं सामुदायिक भोज और धार्मिक आयोजन होते हैं। यह दिन न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि सामाजिक एकता और भाईचारे का प्रतीक भी है।
ईद मिलादुन्नबी का यह पर्व हमें याद दिलाता है कि प्रेम, शांति और मानवता के मूल्य ही वह नींव हैं, जो समाज को मजबूत बनाते हैं। इस अवसर पर सभी को पैगंबर के आदर्शों को अपनाने और एक बेहतर विश्व के निर्माण में योगदान देने की प्रेरणा मिलती है।
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