एटा: यूपी के जनपद एटा के जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) डॉ. प्रीतम सिंह को बुलंदशहर जिले में उनकी पूर्व तैनाती के दौरान विकास और निर्माण कार्यों में अनियमितताओं के आरोपों के चलते निलंबित कर दिया गया है। शासन ने उन्हें पंचायती राज निदेशालय से संबद्ध कर दिया है, और मामले की विस्तृत जांच के लिए मेरठ मंडल के आयुक्त को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है।
अनियमितताओं का विवरण
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आरोप: पंचायत राज अनुभाग-1 से जारी आदेश के अनुसार, डॉ. प्रीतम सिंह पर बुलंदशहर में तैनाती के दौरान निम्नलिखित अनियमितताओं के आरोप हैं:
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अंत्येष्टि स्थल आवंटन और निर्माण: इन कार्यों में वित्तीय गड़बड़ियाँ और गुणवत्ताहीन कार्य।
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क्षेत्र पंचायत निधि: निधि से कराए गए कार्यों में अनियमितताएँ।
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ऑडिट आपत्तियों का निराकरण: समय पर ऑडिट आपत्तियों का समाधान न करना, जिससे शासन को वित्तीय हानि हुई।
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अनियमितता की राशि: खंड विकास अधिकारियों की सत्यापन रिपोर्ट के अनुसार, अनियमितताओं की राशि 42,11,917 रुपये पाई गई।
जांच और कार्रवाई
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प्रारंभिक जांच: प्रारंभिक जांच में डॉ. प्रीतम सिंह को दोषी पाया गया, जिसके आधार पर उन्हें निलंबित किया गया।
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आगे की जांच: मेरठ मंडल के आयुक्त को जांच सौंपी गई है, जिन्हें एक माह के भीतर विस्तृत आख्या शासन को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
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निलंबन अवधि: निलंबन के दौरान डॉ. प्रीतम सिंह पंचायती राज निदेशालय से संबद्ध रहेंगे।
छह महीने में दूसरा निलंबन
यह छह महीने में दूसरी बार है जब एटा के डीपीआरओ को निलंबित किया गया है। इससे पहले, 28 मार्च 2025 को तत्कालीन डीपीआरओ केके सिंह चौहान को निलंबित किया गया था। यह कार्रवाई शीतलपुर विकासखंड की ग्राम पंचायत जिरसमी में भ्रष्टाचार से संबंधित एक मामले में हुई थी।
केके सिंह चौहान मामला
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मामला: जिरसमी में भ्रष्टाचार के एक मामले में हाईकोर्ट में मुकदमा दायर किया गया था। डीपीआरओ केके सिंह चौहान ने अदालत में जवाब दाखिल नहीं किया, जिसके कारण उन पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया।
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डीएम की कार्रवाई: एटा के जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह ने चौहान की लापरवाही और अनुशासनहीनता की रिपोर्ट शासन को भेजी।
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निलंबन: शासन ने इस रिपोर्ट के आधार पर केके सिंह चौहान को निलंबित कर पंचायती राज निदेशालय से संबद्ध किया।
निष्कर्ष
डॉ. प्रीतम सिंह का निलंबन बुलंदशहर में विकास कार्यों में कथित अनियमितताओं और वित्तीय गड़बड़ियों का गंभीर मामला है। शासन ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए जांच के आदेश दिए हैं। मेरठ मंडलायुक्त की जांच रिपोर्ट से यह स्पष्ट होगा कि क्या डॉ. सिंह के खिलाफ और कठोर कार्रवाई की जाएगी। यह घटना प्रशासनिक जवाबदेही और पारदर्शिता के महत्व को रेखांकित करती है।
- रिपोर्ट – सुनील गुप्ता