आगरा। सिंघना फार्म के आलू सीड साइज खुदाई और वितरण में हुआ घोटाला अब पूरी तरह खुलकर सामने आ गया है। लखनऊ से हुई जांच में उद्यान उपनिदेशक डीपी यादव दोषी पाए गए हैं, जबकि उद्यान अधिकारी अनीता सिंह की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े हुए हैं।
किसान नेता श्याम सिंह चाहर और सोमवीर यादव ने सबसे पहले आरोप लगाया था कि आलू सीड किसानों तक नहीं पहुँचाया जा रहा, बल्कि माफियाओं के इशारे पर खेल किया जा रहा है। जांच रिपोर्ट ने उनके आरोपों को सही साबित कर दिया।
जांच में सामने आया कि आलू खुदाई का कार्य फरवरी से मार्च के बीच होना चाहिए था, लेकिन इसे अप्रैल तक खींचा गया। इस दौरान असली बीज की जगह बदला हुआ आलू कोल्ड स्टोर में भरवाया गया। खास बात यह कि जहाँ 20 किलोमीटर के दायरे में करीब 50 कोल्ड स्टोर मौजूद थे, वहाँ आलू 50 किलोमीटर दूर माफियाओं के स्टोर में रखवाया गया।
इतना ही नहीं, 8 अप्रैल को आलू की चोरी-छुपे नीलामी कर दी गई, जबकि खुदाई-बिनाई का काम उसी समय जारी था। किसानों का कहना है कि यह पूरा खेल अफसर–माफिया गठजोड़ से किया गया है।
पूर्व जिला अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण बघेल ने आरोप लगाया कि यह बीज किसानों को नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि इससे फसल बर्बाद हो जाएगी। किसान नेता चौधरी दिलीप सिंह ने मांग की कि दोषियों पर मुकदमा दर्ज किया जाए और सरकारी धन की वसूली हो।
किसान संगठनों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मामले की सीबीआई या उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। किसानों का कहना है कि जब तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक किसानों के साथ न्याय नहीं होगा।