नई दिल्ली। पिछले छह दिनों से इंडिगो एयरलाइंस की सैकड़ों उड़ानें रद्द होने और किराये में बढ़ोतरी से देशभर के यात्री परेशान रहे। अब स्थिति धीरे-धीरे सामान्य होती दिख रही है, वहीं इस पूरे प्रकरण पर डीजीसीए और संसदीय समिति सख्त रुख अपनाए हुए हैं।
डीजीसीए ने इंडिगो को जारी कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए 24 घंटे की अतिरिक्त मोहलत दी है। मिली जानकारी के अनुसार, एयरलाइन को 8 दिसंबर 2025 शाम 6 बजे तक विस्तृत जवाब देना होगा। नियामक ने साफ चेतावनी दी है कि अब और समय नहीं दिया जाएगा और जवाब न मिलने की स्थिति में एकतरफा कार्रवाई की जाएगी।
क्यों जारी किया गया था नोटिस?
डीजीसीए ने 6 दिसंबर को इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स और अकाउंटेबल मैनेजर को नोटिस भेजा था। नोटिस में बड़े पैमाने पर उड़ान बाधित होने, नियमों के उल्लंघन और परिचालन अव्यवस्था पर जवाब मांगा गया था।
इंडिगो अधिकारियों ने 7 दिसंबर को पत्र लिखकर कहा कि देशभर में बेहद बड़े स्तर पर ऑपरेशन होने के कारण विस्तृत जवाब तैयार करने में समय लग रहा है, इसलिए समय सीमा बढ़ाई जाए।
संसदीय समिति भी सख्त
संसद की परिवहन, पर्यटन और नागरिक उड्डयन समिति जल्द ही इंडिगो, अन्य निजी एयरलाइनों, DGCA और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों को तलब कर सकती है। समिति के सदस्यों का कहना है कि
अचानक इतने बड़े पैमाने पर उड़ानें क्यों रद्द की गईं?
भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न हो, इसके लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
यह जानने के लिए विस्तृत जवाब तलब किए जाएंगे। समिति के कई सदस्यों ने बताया कि यात्रियों को भारी परेशानी, बढ़े हवाई किरायों और सांसदों तक प्रभावित होने की घटनाओं को गंभीरता से लिया गया है।
सीपीएम सांसद जॉन ब्रिटास ने इस मामले की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) या न्यायिक जांच तक की मांग कर दी है।
संचालन में धीरे-धीरे सुधार
इंडिगो अभी अपनी 2,300 दैनिक उड़ानों में से करीब 1,650 उड़ानें संचालित कर पा रहा है, जबकि लगभग 650 उड़ानें रद्द की गई हैं।
नागर विमानन मंत्रालय ने कहा कि संचालन तेजी से बहाल किया जा रहा है। सरकार के अनुसार हवाई किराए पर नियंत्रण रखा जा रहा है, यात्रियों के रिफंड तुरंत दिए जा रहे हैं, सामान की डिलीवरी प्राथमिकता पर की जा रही है।
अब तक रिफंड और बैगेज की स्थिति
सरकार ने जानकारी दी कि इंडिगो ने 610 करोड़ रुपये का रिफंड जारी कर दिया है, और 3,000 से अधिक सामान यात्रियों तक पहुंचा दिए हैं।
इंडिगो के परिचालन संकट पर अब सरकार, DGCA और संसदीय समिति—तीनों की निगाहें टिकी हैं, और आने वाले दिनों में इस मामले में और बड़ी कार्रवाई की आशंका जताई जा रही है।





