आगरा। हिमाचल प्रदेश के मंडी से भाजपा सांसद और फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ किसानों के अपमान और कथित राष्ट्रद्रोह के मामले में दायर रिवीजन याचिका पर शनिवार को आगरा की अदालत में दोनों पक्षों की बहस पूरी हो गई। अदालत ने इस मामले में अपना फैसला 30 सितंबर 2025 को सुनाने का निर्णय लिया है।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला कंगना रनौत के उन विवादित बयानों से जुड़ा है, जिनमें उन्होंने किसानों पर गंभीर आरोप लगाए और उनके लिए आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं। राजीव गांधी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और वादी रमाशंकर शर्मा तथा राजवीर सिंह ने बहस के दौरान दावा किया कि कंगना के बयानों ने न केवल किसानों, बल्कि पूरे देश का अपमान किया है। उन्होंने अपनी खतौनी प्रस्तुत कर स्वयं को किसान का बेटा बताया और कहा कि अवर न्यायालय द्वारा 6 मई 2025 को उनकी अर्जी को निरस्त करना पूरी तरह निराधार था।
कंगना के विवादित बयान
वादी पक्ष ने बताया कि 2020 में मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर 15 महीने तक किसानों का आंदोलन चला, जिसमें साढ़े 700 किसानों की मृत्यु हुई। 2022 में चुनावी दबाव के चलते सरकार को ये कानून वापस लेने पड़े। इसी पृष्ठभूमि में कंगना रनौत ने 16 सितंबर 2021 को इंस्टाग्राम पर कहा था, “गाल पर चांटा खाने से आजादी नहीं मिलती, 1947 की आजादी गांधीजी के भीख के कटोरे से मिली है।” इस बयान का देशभर में तीव्र विरोध हुआ। भाजपा नेता मनोरंजन कालिया और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इसकी निंदा की। कई साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों ने कंगना से उनका पद्मश्री सम्मान वापस लेने की मांग की।
वादी पक्ष ने तर्क दिया कि कंगना ने न केवल किसानों और महात्मा गांधी का अपमान किया, बल्कि 1947 की आजादी को “भीख” बताकर शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों का भी घोर अपमान किया। उन्होंने कहा कि संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, लेकिन कोई भी बयान जो राष्ट्र की एकता और अखंडता को ठेस पहुंचाए, वह राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में आता है।
पंजाब केस का हवाला
वादी पक्ष ने पंजाब की बठिंडा कोर्ट के आदेश का भी जिक्र किया, जहां कंगना के एक अन्य बयान पर कार्रवाई हुई थी। कंगना ने कहा था कि धरने पर बैठी महिलाएं पैसे लेकर बैठी हैं। इसके खिलाफ 72 वर्षीय महिला किसान महेंद्र कौर ने केस दर्ज कराया था। कंगना को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली, और सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर कड़ी फटकार लगाते हुए इसे वापस कराया था।
गांधीजी के अपमान पर दलील
वादी पक्ष ने यह भी तर्क दिया कि अवर न्यायालय का यह कहना कि गांधीजी का अपमान केवल उनका परिवार ही उठा सकता है, गलत है। उन्होंने कहा, “महात्मा गांधी पूरे राष्ट्र के पिता हैं, और हर नागरिक उनके अपमान के खिलाफ आवाज उठा सकता है।”
कंगना का पक्ष
विपक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अभिनव झा और सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता मोहित पाल ने कंगना का पक्ष रखा और उनके बयानों का बचाव किया। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रखते हुए 30 सितंबर 2025 की तारीख तय की।
बहस में शामिल अधिवक्ता
वादी पक्ष की ओर से बहस में वरिष्ठ अधिवक्ता दुर्ग विजय सिंह, भैया अनूप शर्मा, बीएस फौजदार, उमेश जोशी, सुमंत चतुर्वेदी और सुरेंद्र लखन सहित कई अधिवक्ता मौजूद रहे।