कासगंज। पत्रकारिता जगत के वरिष्ठ हस्ताक्षर, स्वतंत्र लेखक एवं ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के संरक्षक सदस्य कृष्ण मेहता नहीं रहे। उन्होंने 27 अक्टूबर को सहावर कस्बे स्थित अपने निवास पर अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से पूरे पत्रकार समुदाय में शोक की लहर दौड़ गई है।

कृष्ण मेहता वर्ष 1980 से सक्रिय पत्रकारिता से जुड़े रहे। उन्होंने 1982 में अपनी पत्रकारिता यात्रा की शुरुआत साप्ताहिक हिंदुस्तान से की। सामाजिक मुद्दों पर उनकी लेखनी हमेशा सशक्त रही। युवाओं में तम्बाकू सेवन से बढ़ते मुँह के कैंसर पर लिखी गई उनकी रिपोर्ट ने न सिर्फ जनजागरूकता बढ़ाई बल्कि उस मुद्दे को तत्कालीन सांसद ने लोकसभा में भी उठाया था।

साहित्य के क्षेत्र में भी उनका विशेष योगदान रहा। उनकी “चंचल मैना” जैसी बाल कहानियों की पुस्तकें बच्चों में काफी लोकप्रिय हुईं। वर्ष 1990 में वे दैनिक समाचार पत्र आज (आगरा संस्करण) से जुड़े, जहाँ उन्होंने जनपद फर्रुखाबाद का प्रतिनिधित्व किया और कॉपरेटिव कताई मिल में श्रमिकों के अधिकारों पर प्रभावशाली रिपोर्टिंग की।

नई दिल्ली से प्रकाशित नई दिल्ली टाइम्स में उप-संपादक के रूप में कार्य करने के साथ ही वे तीसरी सत्ता समाचार पत्र के भी संपादक रहे।
पत्रकारिता में गिरते मानदंडों, पीत पत्रकारिता और गोदी मीडिया की प्रवृत्तियों को देखकर उन्होंने कुछ वर्षों पहले सक्रिय पत्रकारिता से स्वयं को अलग कर लिया था।

स्वर्गीय कृष्ण मेहता मूल रूप से म्यासुर गाँव (जनपद कासगंज, सहावर) के निवासी थे।
उनके निधन पर ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के प्रदेश उपाध्यक्ष रामनरेश सिंह चौहान ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा —

“पत्रकारिता जगत ने एक कर्मठ, जुझारू और कलम के सच्चे सिपाही को खो दिया है।
स्वर्गीय मेहता जी न सिर्फ पत्रकारों के मार्गदर्शक थे, बल्कि हर साथी के दुख-सुख में हमेशा साथ खड़े रहते थे। उनकी स्मृतियाँ हमें सदैव प्रेरित करती रहेंगी।”

वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण मेहता के निधन से पत्रकारिता जगत में एक ऐसी कमी आई है, जिसकी भरपाई कभी नहीं की जा सकती।

ॐ शांति:! शांति:!!शांति:!!!

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