हापुड़: कल्पना कीजिए, श्मशान घाट की लपटों में जल रही चिता… लेकिन वो चिता किसी अपनी की नहीं, बल्कि एक ठंडे, बेजान डमी की है! सिर्फ 50 लाख रुपये के हवाले से बुनकर एक ऐसी साजिश, जो मौत को भी धोखा दे दे। उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले की पावन तीर्थनगरी गढ़मुक्तेश्वर में हाल ही में खुलासा हुआ एक ऐसे ही काले कारनामे का, जहां दो शातिरों ने एक्सीडेंटल इंश्योरेंस की चालाकी में डमी का अंतिम संस्कार कर डाला। लेकिन अब, मौत के इस नाटक पर पर्दा गिराने की बारी है! जिला मजिस्ट्रेट (DM) ने एक सख्त आदेश जारी कर दिया है – अब श्मशान की आग सुलगने से पहले हर शव की पहचान आधार कार्ड और अन्य दस्तावेजों से सत्यापित होगी। धोखाधड़ी के ये साये अब नहीं लहराएंगे!
यह मामला तब सुर्खियों में आया, जब गढ़मुक्तेश्वर के श्मशान घाट पर एक संदिग्ध अंतिम संस्कार की खबर ने हलचल मचा दी। दो व्यक्तियों पर आरोप लगा कि उन्होंने फर्जी एक्सीडेंट का दावा ठोंककर इंश्योरेंस कंपनी से 50 लाख रुपये की मोटी रकम हथियाने की कोशिश की। डमी को असली शव बताकर चिता पर चढ़ा दिया गया – एक ऐसी साजिश जो न सिर्फ कानून की खिल्ली उड़ा रही थी, बल्कि समाज के विश्वास को भी चूर-चूर कर रही थी। क्या मौत भी अब बिकाऊ हो गई है? यह सवाल हर नागरिक के मन में कौंध रहा है। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की, लेकिन घटना ने पूरे इलाके में दहशत फैला दी। तीर्थनगरी का श्मशान, जहां लोग अपनों को विदा करते हैं, वहां धोखे का यह नंगा नाच!

DM के इस ऐतिहासिक आदेश ने अब इस काले अध्याय पर पूर्ण विराम लगा दिया है। जारी निर्देशों के मुताबिक, क्रिमेशन (अंतिम संस्कार) से ठीक पहले नगर पालिका के कर्मचारी हर शव का सख्त वेरिफिकेशन करेंगे। आधार कार्ड, वोटर आईडी या अन्य वैध पहचान पत्रों के जरिए शव के चेहरे से मिलान किया जाएगा। कोई फर्जीवाड़ा नहीं, कोई ढील नहीं! “श्मशान घाट पर अब मुर्दों के साथ धोखाधड़ी की कोई गुंजाइश नहीं बचेगी,” DM ने स्पष्ट शब्दों में कहा। यह कदम न सिर्फ इंश्योरेंस फ्रॉड पर अंकुश लगाएगा, बल्कि अपराधियों की हिम्मत तोड़ देगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह व्यवस्था पूरे देश के लिए एक मिसाल बनेगी, जहां मौत की गरिमा को बचाने के लिए तकनीक और कानून का ऐसा संयोजन पहली बार देखने को मिला है।
लेकिन सवाल वही है – क्या यह फरमान धोखे के सारे रास्ते बंद कर देगा? या फिर शातिर दिमाग नई चालें रचेंगे? हापुड़ की सड़कों पर अब सतर्कता का माहौल है। स्थानीय निवासी कहते हैं, “हमारे अपनों की चिता पर अब कोई साया नहीं टिकेगा।” पुलिस और नगर पालिका की टीमें अलर्ट मोड पर हैं, ताकि तीर्थनगरी की पवित्रता बरकरार रहे।
यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है – आधुनिक दुनिया में विश्वास की कीमत कितनी? DM का यह साहसिक कदम न सिर्फ उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे हिंदुस्तान के श्मशानों में एक नई क्रांति ला सकता है। रहिए अपडेटेड, क्योंकि मौत का यह रहस्य अब खुल चुका है… और न्याय की लपटें अब अपराधियों को ही भस्म कर देंगी!





