आगरा। एक सिपाही ने अपर जिला जज का फर्जी लेटर बनाकर उनके फर्जी हस्ताक्षर भी कर दिए। मामले में स्पेशल सीजेएम ने उसे तीन साल के कारावास की सजा सुनाई है।
मामला वर्ष 1999 का है। न्यू आगरा थाने में सीओ अनंत देव ने तहरीर दी थी। आरोप लगाया था कि अपर सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में नियुक्त कोर्ट मुहर्रिर आरक्षी कमलेश कुमार, आरक्षी जुगल किशोर द्वारा जिला कारागार से पेशी के लिए लाए बन्दियों के वारंट न्यायालय या रीडर के समक्ष प्रस्तुत नहीं किए। 24 मई 99 को संबंधित पत्रावली से संबंधित बंदियों को वारंट के साथ जिला कारागार से बुलाया गया।
कोर्ट मोहर्रिरों ने उन्हें अदालत के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया। इसके बाद अपर सत्र न्यायाधीश आगरा का एक पांच जून 99 में कार्यालय में प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया। जिसके अवलोकन में पाया गया कि पत्र में यह लिखा गया है कि इन कर्मचारियों की लापरवाही के संबंध में पूर्व में पत्र लिखा गया था। जिसमें कर्मचारियों की कोई लापरवाही नहीं है। इसलिए इन कर्मचारियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही किए जाने की आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है। मगर तब तक न्यायाधीश का स्थानांतरण बिजनौर हो गया। उन्होंने पत्रों की छाया प्रतियां बिजनौर भेज दीं।
तब न्यायाधीश ने अवगत कराया कि आरक्षी जुगल किशोर द्वारा जो पत्र दिनांक 4 जून 99 को दाखिल किया गया और उस पर 5 जून 99 को जो हस्ताक्षर किए गए हैं यह उनके हस्ताक्षर नहीं हैं। यह हस्ताक्षर फर्जी है। जुगल किशोर ने अपने को बचाने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार कर अपर सत्र न्यायाधीश आगरा के हस्ताक्षर किए गए हैं। स्पेशल सीजेएम अचल प्रताप सिंह ने सिपाही जुगल किशोर को तीन साल के कारावास की सजा सुनाई है। सिपाही फिरोजाबाद के थाना नारखी क्षेत्र के गांव रूधऊ का रहने वाला है।