• बारिश के मौसम में विद्यालय परिसर में भर जाता है दस गांवों का पानी, अभिभावक और ग्रामीण फिर पहुंचे प्रशासन के दरबार
• “कंपोजिट विद्यालय धमौटा: टूटी दीवार और जलभराव ने रोकी पढ़ाई, कब जागेगी जिम्मेदार व्यवस्था?”
रिपोर्ट 🔹सुशील गुप्ता
फतेहाबाद/आगरा। कंपोजिट विद्यालय धमौटा की दुर्दशा इन दिनों क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। वर्षों से टूटी पड़ी बाउंड्री वॉल और हर बारिश में स्कूल परिसर में भरता नाले का गंदा पानी बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा दोनों पर बड़ा सवालिया निशान लगा रहा है।
बारिश के मौसम में हालात इतने खराब हो जाते हैं कि आसपास के दस गांवों का पानी स्कूल में भर जाता है। जलभराव के कारण बच्चों का स्कूल आना-जाना खतरे से खाली नहीं होता, कई बार तो विद्यालय को बंद करने की नौबत तक आ जाती है।
शिकायतों के बावजूद नहीं मिल रहा समाधान
विद्यालय के शिक्षक और अभिभावक इस समस्या को लेकर जिलाधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) और बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) से कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन आज तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकला।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि कुछ दबंगों ने नाले के प्राकृतिक बहाव को रोककर उसका रुख बदल दिया है, जिससे पानी का जमाव और भयावह हो जाता है।
बच्चों के स्वास्थ्य पर मंडरा रहा खतरा
विद्यालय की इंचार्ज प्रधानाध्यापिका किरन देवी का कहना है:
“स्कूल में पानी भरने से न केवल पढ़ाई बाधित होती है, बल्कि बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर भी खतरा मंडराता है। मच्छर, सांप, गंदगी और संक्रमण फैलने का डर हमेशा बना रहता है।”
टूटी बाउंड्री वॉल के चलते बेसहारा मवेशियों और बाहरी तत्वों का परिसर में आना आम हो गया है। इससे स्कूल का वातावरण असुरक्षित हो गया है।
स्थानीय लोग बोले – हर बार आश्वासन, कार्रवाई शून्य
• गांव के सुरेश चंद्र लवानिया, कमलेश कुमार, रामनिवास, प्रेमचंद, परसोत्तम, महावीर, रनवीर सिंह ने कहा कि वे वर्षों से बच्चों को इस स्कूल में भेज रहे हैं। हर बारिश में यही स्थिति बनती है।
• “प्रशासन केवल कागजों पर समाधान दिखाता है, ज़मीनी हकीकत वही की वही है। कब तक हमारे बच्चों की पढ़ाई यूं ही बाधित होती रहेगी?”
प्रशासन से फिर अपील
ग्रामीणों और स्कूल स्टाफ ने प्रशासन से अपील की है कि विद्यालय की बाउंड्री वॉल का निर्माण और नाले का सही प्रवाह जल्द से जल्द सुनिश्चित किया जाए, ताकि बच्चे सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण में शिक्षा ग्रहण कर सकें।
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