गोंडा: उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में भ्रष्टाचार के खिलाफ एंटी करप्शन टीम की बड़ी कार्रवाई ने स्वास्थ्य विभाग को हिलाकर रख दिया है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) कार्यालय में तैनात वरिष्ठ लिपिक शशिकांत सिंह को चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिल पास करने के एवज में 5 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया है। इस घटना से सीएमओ ऑफिस में हड़कंप मच गया है, और उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट भेजी जा रही है।
शिकायत से शुरू हुई कार्रवाई: रिटायर्ड अधिकारी के बेटे ने लगाई गुहार
प्राप्त जानकारी के अनुसार, बुधवार को देवीपाटन मंडल की एंटी करप्शन टीम ने सीएमओ कार्यालय में दबिश देकर शशिकांत सिंह को धर दबोचा। गिरफ्तारी के बाद टीम देहात कोतवाली पुलिस के पास पहुंची, जहां भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है।
यह कार्रवाई बहराइच जिले के जरवल रोड थाना क्षेत्र के आदमपुर गांव निवासी आशीष पांडेय की शिकायत पर आधारित थी। आशीष के पिता अंगद प्रसाद पांडेय वर्ष 2014 में गोंडा सीएमओ ऑफिस से सेवानिवृत्त हो चुके थे। रिटायरमेंट के बाद चिकित्सा प्रतिपूर्ति (मेडिकल रीइम्बर्समेंट) बिल पास कराने की प्रक्रिया में शशिकांत सिंह हर बार रिश्वत की मांग करता था। आशीष ने बताया कि फाइल जब भी आरोपी के पास पहुंचती, तो 5 से 7 हजार रुपये की मांग की जाती। इस बार भी 5 हजार रुपये मांगे गए, जिस पर उन्होंने एंटी करप्शन टीम से संपर्क किया।
आरोपी का बैकग्राउंड: बलिया जिले का रहने वाला लिपिक
गिरफ्तार शशिकांत सिंह बलिया जिले के सहतवार का निवासी है और लंबे समय से सीएमओ कार्यालय में वरिष्ठ लिपिक के पद पर तैनात था। टीम ने ट्रैप ऑपरेशन के तहत आशीष पांडेय को 5 हजार रुपये के साथ आरोपी के पास भेजा, जहां रिश्वत लेते ही उसे पकड़ लिया गया। एंटी करप्शन टीम प्रभारी राज किशोर यादव ने पुष्टि की कि आरोपी को रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है और विधिक कार्रवाई पूरी हो रही है।
सीएमओ की प्रतिक्रिया: उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी रिपोर्ट
मामले का संज्ञान लेते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एसएल पटेल ने कहा, “लिखित सूचना मिलने के बाद उच्च अधिकारियों को पूरी रिपोर्ट प्रेषित की जाएगी। विभाग में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।” इस घटना ने स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार के खिलाफ सतर्कता बढ़ा दी है, और अन्य कर्मचारियों में डर का माहौल है।
यह गिरफ्तारी उत्तर प्रदेश में चल रहे भ्रष्टाचार विरोधी अभियान का हिस्सा है, जो आम जनता को राहत प्रदान करने का संदेश दे रही है। एंटी करप्शन टीम की इस त्वरित कार्रवाई की सराहना हो रही है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सिस्टम में और सुधार जरूरी हैं।





